“मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं जिनके सपनों ने जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों में उड़ान होती है।” कुछ ऐसे ही बुलंद हौसले वाले शख्स हैं शिहाब। जिन्होंने अनाथालय में रहकर UPSC जैसे एग्जाम को क्लियर करने का सपना बचपन में देखा और उसे पूरा करके भी दिया। सिविल सर्विसेज की परीक्षा में पास होकर अपना करियर बनाने का सपना बहुत सारे स्टूडेंट्स देखते हैं लेकिन सभी का सपना पूरा नहीं हो पाता। कई बार ऐसा होता है कि उनके हालात और संसाधनों की कमी कई बार उनकी राह का रोड़ा बन जाते हैं। लेकिन केरल के रहने वाले शिहाब ने इन मुश्किलों को अपनी राह का रोड़ा नहीं बनने दिया, सालों तक अनाथालय में रहने के बाद भी उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा को पास किया और स्टूडेंट्स की प्रेरणा बने। नाम: मोहम्मद अली शिहाब जन्म: 15 मार्च 1980 यूपीएससी रैंक: 226 वीं रैंक जो भी स्टूडेंट्स सिविल की परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं उनके लिए शिहाब की कहानी बहुत प्रेरणादायी साबित होगी। कौन है मोहम्मद अली शिहाब? शिहाब का जन्म 15 मार्च 1980 को हुआ था, उनके पिता का नाम कोरोट अली और माता का नाम फातिमा था। उनका एक बड़ा भाई और और
अगर किसी स्कूल में जाएं. तो क्या देखने को मिलेगा? बेंच, कुर्सी, मेज या फिर ब्लैक बोर्ड वगैरह. जाहिर सी बात है स्कूल में और क्या ही देखने मिल सकता है. लेकिन जरा ठहरिए तकिया, गद्दा, बेड, अलमारी और स्टोव ये सब भी स्कूल में देखने मिल सकता है. या कहें मिला है. बिहार के एक स्कूल में प्रिंसिपल ने स्कूल को ही बेडरूम-किचन अपार्टमेंट बना डाला (Bihar principal bedroom in school). साथ ही गृहस्थी का सामान भी जुटा डाला. स्कूल में पहली से आठवीं तक के करीब डेढ़ सौ बच्चों की क्लास सिर्फ तीन कमरों में चल रही है. ऑफिस का इस्तेमाल बच्चों की क्लास चलाने के लिए भी किया जा सकता था, मगर वहां प्रिंसिपल साहिबा परिवार समेत रह रही हैं. 3 कमरों में 1 से 8 तक की कक्षाएं चल रही हैं बताया जा रहा है, स्कूल में 150 छात्र-छात्राएं हैं. जो 1 से लेकर 8 तक की क्लास में हैं. जिनकी क्लास अब सिर्फ तीन कमरों में चल रही हैं. क्लास 1-3 तक एक कमरे में, 4-5 दूसरे में और 6-8 तीसरे कमरे में चल रही हैं. इसकी वजह स्कूल में जगह की कमी बताई जा रही है. हालांकि ऑफिस की जगह को स्कूल के काम के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था लेकिन वहां