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Success Story: वर्दी में मां को सैल्यूट', बिहार की पहली ट्रांसजेंडर दारोगा मानवी मधु की कहानी सुन आंखों में आंसू आ जाएंगे!

 मानवी मधु कश्यप, जिन्होंने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया था, ने बिहार की पहली ट्रांसजेंडर दारोगा बनकर इतिहास रच दिया है। अपनी पहचान को लेकर उन्हें बचपन से ही संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने 2022 में मद्य निषेध विभाग में सिपाही पद के लिए लिखित परीक्षा पास की, लेकिन शारीरिक परीक्षा में 11 सेकंड से चूक गईं थीं। लेकिन इस बार उन्होंने मिसाल ही कायम कर दी। उनकी कहानी सुन कर आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे। 

Manvi madhu transgender daroga

मानवी मधु कश्यप, एक ट्रांसजेंडर महिला, ने बिहार पुलिस में दारोगा बनकर इतिहास रच दिया है। अपने संघर्षों और समाज के तानों को मात देते हुए उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है। मधु की कहानी प्रेरणा देती है कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। बिहार पुलिस में दारोगा के पद पर चयनित होने वाले तीन ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों में मधु एकमात्र ट्रांसवुमेन हैं। बांका जिले की रहने वाली मधु ने बताया कि बचपन से ही उन्हें अपनी पहचान को लेकर भेदभाव का सामना करना पड़ा। नौवीं कक्षा में आते-आते उन्हें एहसास हुआ कि वह दूसरे लड़कों से अलग हैं। समाज और रिश्तेदारों के तानों से बचने के लिए उन्होंने अपनी असली पहचान छुपाकर रखी। इस दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और स्नातक की डिग्री हासिल की।

मानवी मधु की वाणी 

मधु ने बताया कि उनके पिता का साया उनके बचपन में ही उठ गया था। परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मंजिल पाने के लिए कड़ी मेहनत करती रहीं। साल 2022 में मधु ने मद्य निषेध विभाग में सिपाही पद के लिए परीक्षा दी थी। लिखित परीक्षा में सफलता मिली लेकिन शारीरिक परीक्षा में वह चूक गईं। उस दौरान उनकी सर्जरी हुई थी और वह छह महीने तक बिस्तर पर रहीं। 9 साल तक वो अपने गांव तक नहीं जा पाईं। उनकी मां सबसे छिपकर मिलने के लिए पटना आती थीं।

 

वर्दी में मां को करेंगी सैल्यूट

लेकिन मधु ने हार नहीं मानी और अपनी तैयारी जारी रखी। इस बार उन्होंने दारोगा पद के लिए आवेदन किया और सफलता हासिल की। मधु की इस उपलब्धि पर उनके परिवार और दोस्तों में खुशी की लहर है। मधु ने एक न्यूज पोर्टल से कहा कि वह अपनी वर्दी पहनकर अपने गांव जरूर जाएंगी और सबको बताएंगी कि उन्हें ट्रांसजेंडर होने पर कोई शर्म नहीं है। वह अपनी मां को वर्दी में सैल्यूट करना चाहती हैं।


मानवी मधु की कहानी एक मिसाल

मधु की कहानी उन सभी लोगों के लिए मिसाल है जो सामाजिक रूढ़ियों और भेदभाव का सामना करते हुए अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मधु का संदेश है कि अगर आपमें कुछ कर गुजरने की चाहत है तो कोई भी बाधा आपको आपके लक्ष्य से नहीं रोक सकती। मधु की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव पंजवारा के एसएस संपोषित हाई स्कूल से हुई है। उन्होंने सीएनडी कॉलेज से इंटरमीडिएट और तिलकामांझी यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। उनके पिता नरेंद्र प्रसाद सिंह का देहांत हो चुका है और उनकी मां माला देवी हैं। मधु ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां और अपने दोस्तों को दिया है, जिन्होंने हर कदम पर उनका सा

थ दिया।

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