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बदल गई क़िस्मत: मां मजदूरी कर बेटे को पढ़ाया, काबिल निकला ट्रक चलाने वाला बेटा, बना BPSC अधिकारी!

 मां ने भैंस चराकर बेटे को पढ़ाया 6 बार सफल न रहने के बाद 7 वीं बार में BPSC परीक्षा पास कर अधिकारी बना। 205 वीं रैंक हासिल की..

 

जब शिव शक्ति 3 के ही थे तभी पिता का  निधन हो गया था; मां ने खेती- मजदूरी कर अपने 5 बच्चे को पाला। इस लड़के को BPSC अधिकारी पद से नीचे कुछ भी मंजूर नहीं था हौसले और संघर्ष से पाली अपनी मंजिल!


सफलता और लक्ष्य के रास्ते में रोड़ा आने पर अपने रास्ते बदल देने वाले मुसाफिर बहुत देखे होंगे लेकिन आज देख लीजिए एक ऐसा अडिग व्यक्ति जो अपने लक्ष्य से कभी नहीं 

भटका!


धैर्य दृढ़ता और सफलता का मिसाल है यह अधिकारी!

पांच भाई बहन की जिम्मेदारी मां कालिंदी देवी पर आ गई। शिव शक्ति बताते हैं, मां पढ़ी-लिखी न


हीं थीं, लेकिन शिक्षा की ताकत को जानती थी। मां ने खेत में मजदूरी की और भैंस पालकर हमारी परवरिश की और पढ़ाया लिखाया। हम भी बड़े हुए तो स्कूल से खाली होने के बाद खेत में काम करते थे।

 

कॉन्वेंट तो सपने में नहीं देखा, सरकारी स्कूल में ही पढ़ाई हुई। नाना और नानी से जो पैसा मां को साग सब्जी के लिए मिलता था, वह उसे बचाकर मेरी पढ़ाई में लगा देती थी। मैट्रिक परीक्षा देकर काम के लिए दिल्ली के लिए निकल गया। कई दिनों तक सड़क किनारे सोया। तंगी ऐसी थी कि सड़क निर्माण में मजदूरी की। मैट्रिक में सेकेंड डिवीजन पास हो गया तो घर आ गया।


शिव शक्ति उन दिनों को याद कर भावुक होकर बताते हैं, मेरे छोटे भाई पृथ्वीराज को हेपेटाइटिस बी हो गया। हम आर्थिक संकट से घिर गए। मुझे फिर काम के लिए बाहर जाना पड़ा। मैं कोलकाता गया और गति ट्रांसपोर्ट में खलासी की नौकरी करने लगा। कोलकाता से गुवाहाटी तक ट्रक से आना जाना होता था।


एक बार ट्रक का एक्सीडेंट हो गया। जिसमें जान बची तो घर आ गया। दिल्ली में कपड़े की कंपनी में काम करने के साथ ऑटो भी चलाया।


दिल्ली में स्टूडेंट्स की तैयारी देख, मैंने भी कुछ बड़ा करने का संकल्प लिया। विपरीत परिस्थिति में मां ने मेरी तैयारी कराई और मैंने अपने छठे प्रयास में बीपीएससी परीक्षा को क्रैक कर दिया।

 हालांकि पांच साल पहले मेरे छोटे भाई पृथ्वीराज की इंडियन आर्मी में जॉब लग गई। जिसके बाद घर की स्थिति थोड़ी

 सुधरी।





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