कहते हैं किस्मत कभी एक-सा नहीं रहता. जज की परीक्षा पास करने वाले कासिम और उनके परिवार का वक्त भी बदलने वाला है. कभी ठेले में जूठे बर्तन धोने वाला लड़का एक दिन जज बनकर लोगों को इंसाफ पाने में मदद करेगा, ऐसा किसने सोचा होगा भला, आइए जानते हैं कासिम की कहानी...
यहां वो कहावत चरितार्थ करती है कि... कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों...ये पंक्ति यूपी के संभल से पीसीएस जे में बाजी मारकर 135 वी रैंक हासिल करने वाले 29 वर्षीय कासिम पर सटीक बैठती है. कासिम अब से कुछ साल पहले तक खुद ठेला लगाकर हलीम बचने का काम करते थे. शुरुआती शिक्षा के दौरान उनका बचपन पिता के ठेले पर ही गंदी प्लेटे धोने में बीता है. लेकिन कुछ सालो में ही वक्त ऐसा बदला कि तमाम सघर्षो का बचपन बीतने के साथ ही कासिम ने अपने परिवार और संभल का नाम रोशन कर दिखाया है.
ठेला लगाकर अपने परिवार की गुजर बसर में साथ निभाने वाले कासिम ने अपनी मां से मोटिवेट होकर हौसलों की उड़ान भरते हुए अब मंजिल पा ली है. संभल के नखासा थाना इलाके के रुकनुद्दीन सराय निवासी 29 वर्षीय मोहम्मद कासिम ने यूपी लोक सेवा आयोग की ज्यूडिशियल परीक्षा में घोषित नतीजों में अपना नाम पाकर खुशी से फूले नहीं समा रहे.
उनके परिवार को हर कोई बधाई दे रहा है. पीसीएस जे में चयन के बाद परिवार के साथ ही पूरे इलाके में खुशी का माहौल है. घर में कासिम के भाई बहन और रिश्तेदार मिठाईयां खिलाकर बधाईया देने में लगे है तो इलाके के लोगो में भी कासिम के चयन को लेकर जबरदस्त उत्साह है. ठेला लगाने से लेकर जज बनने तक के खुद के और परिवार के तमाम संघर्षों व मुसीबतों के उन पलों को याद करके कासिम की आंखे नम हो रही हैं लेकिन अब सफलता के आंसू उन पर भारी है।