इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए IIT और NIT का जुनून छात्रों के सिर चढ़कर बोलता है. लेकिन देश का एक ऐसा इंजीनियरिंग कॉलेज है, जिसे साइंटिस्ट की फैक्ट्री कहना गलत नहीं होगा. इस कॉलेज के 7 पूर्व छात्र इसरो के चंद्रयान-3 मिशन का अहम हिस्सा हैं।
इसरो के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद इसकी टीम इस वक्त सुर्खियों में है. इस टीम में देशभर के वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल हैं. छात्रों के बीच इंजीनियिंग के लिए IIT का जुनून सिर चढ़कर बोलता है लेकिन देश में एक ऐसा इंजीनियरिंग कॉलेज है, जिसके 7 पूर्व छात्र इस टीम में शामिल थे. जिसमें इसरो चीफ एस सोमनाथ भी शामिल हैं. इसलिए इस कॉलेज को साइंटिस्ट की फैक्ट्री भी कह सकते हैं. केरल के कोल्लम में मौजूद इस कॉलेज का नाम टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग है. जिसका फुल फॉर्म थंगल कुंजू मुसलियार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग है. आइए जानते हैं कि इसरो चीफ समेत कौन-कौन से साइंटिस्ट TKM कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से पढ़े हैं, जो चंद्रयान-3 टीम का अहम हिस्सा हैं।
ये कॉलेज है साइंटिस्ट की फैक्ट्री:
1. इसरो चीफ एस सोमनाथ (मैकेनिकल इंजीनियरिंग)2. मोहन कुमार मिशन (मिशन डायरेक्टर/मैकेनिक इंजीनियरिंग)3. अतुल (Athula)- (मिशन डायरेक्टर/ इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग)4. सतीश-(मैकेनिकल इंजीनियरिंग)5. नारायणन (एसोसिएट मिशन डायरेकटर/मैकेनिकल इंजीनियरिंग)6. मोहन (मैकेनिकल इंजीनियरिंग)7. शोरा (इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग)
2. कैसे मिलेगा इस कॉलेज में दाखिला
टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के बीटेक कोर्स में दाखिला केरल सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली प्रवेश परीक्षा केरल इंजीनियरिंग आर्किटेक्चर मेडिकल के स्कोर के आधार पर मिलता है. परीक्षा के बाद एंट्रेंस एग्जामिनेशन कमिश्नर की ओर से रैंक तैयार की जाती है. यह रैंक 12वीं में मिले मार्क्स और KEAM एंट्रेंस एग्जाम के स्कोर के आधार पर बनती है. जिसमें 12वीं के मार्क्स और एंट्रेंस एग्जाम का वेटेज 1:1 रेशियो में होता है।
TKMC है केरल का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज
कोल्लम में स्थित Thangal Kunju Musaliar College of Engineering यानी TKMCE केरल का पहला गवर्नमेंट एडेड इंजीनियरिंग कॉलेज है. इसकी स्थापना 3 जुलाई 1958 को हुई थी. यह वर्तमान में एपीजे अब्दुल कलाम टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, तिरुवनंतपुरम से एफिलेटेड है. इस कॉलेज की नींव 3 फरवरी 1956 को देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने रखी थी. जबकि उद्घाटन 3 जुलाई 1958 को तत्कालीन साइंटिफिक एंड कल्चरल अफेयर्स मंत्री हुमायूं कबीर ने
किया था.
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