सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

धरती से चांद तक का सफर: बस ड्राइवर पिता ने लिया कर्ज, मां ने पढ़ाई के लिए बेचे गहने, बेटी बनी ISRO में इंजीनियर

 धरती से चांद तक का सफर: कामयाबी पाने के बाद सना ने कहा कि मैं मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ. सभी महिलाओं से कहना चाहती हूं; किसी भी कीमत पर पढ़ें. जीवन में जो लक्ष्य निर्धारित किया है उसे पाने के लिए हर संभव कोशिश करें. रास्ते में आने वाली सभी असफलताओं को एक तरफ रखते हुए कड़ी मेहनत करें. 

 

Bus Driver Daughter Sana ISRO Engineer: दुनिया के तमाम दुख एक तरफ और गरीबी के साथ जीना एक तरफ. लेकिन सना अली के हौसले, मां-बाप की मेहनत के आगे गरीबी हार गई. वे सभी, उनकी मेहनत जीती. सना इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) में असिस्टेंट टेक्निकल इंजीनियर बन गई हैं. ये लिखना-पढ़ना जितना आसान है, सना के लिए वहां तक पहुचंना उससे कई गुना मुश्किल रहा. आइए रू-ब-रू होते हैं सना और उनके मां-पिता के संघर्षों से.

सना मध्य प्रदेश के विदिशा जिले की रहने वाली हैं. उन्होंने आंध्र प्रदेश के तिरूपति जिले के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र इसरो में नौकरी पाई. सना अली ने कड़ी मेहनत, विश्वास के साहस के दम पर ये ओहदा पाया. दुनिया के हर माता-पिता औलाद के लिए हमेशा अपनी गुंजाइश से ज्यादा सबकुछ देते हैं. सना के पिता ने भी वैसा ही किया.

 

पिता के पास कमाई के लिए सीमित साधन थे. सना के पास पढ़ाई के लिए सभी सुख सुविधाएं नहीं थी, फिर भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी. उन्होंने विदिशा के सम्राट अशोक टेक्निकल इंस्टीट्यूट (SATI) से बी.टेक और एम.टेक पूरा किया. सना की पढ़ाई जारी रखने के लिए उनके पिता सैयद साजिद अली ने कर्ज लिया और सना की मां ने अपने गहने गिरवी रखे.

मां-पिता बेटी की पढ़ाई के लिए ये सब कुर्बानियां दे रहे थे, तो समाज-रिश्तेदारों से ताने तो मिलने ही थे. वैसा हुआ भी. उनसे कहा गया कि इतना मत पढ़ाइए, शादी कर के अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाइए. लेकिन उन्होंने सभी बातों को नजरअंदाज कर के बेटी के आगे बढ़ने के लिए हर मुमकिन कोशिश है।

2022 में सना अली की शादी ग्वालियर के इंजीनियर अकरम से हुई. पति और ससुराल वालों का साथ मिला. सना के माता-पिता के साथ ससुराल वालों ने भी पढ़ने और नौकरी पाने में पूरा साथ दिया. सना के लिए गरीबी में पढ़-लिखकर इसरो पहुंचना ही, जमीं से चांद तक का सफर है।  

Video देखने के लिए Bharat prime YouTube / Facebook चैनल पर जाएं, धन्यवाद!


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कौन हैं Math's Masti वाले शिक्षक से यूट्यूबर और फिर ग्राम प्रधान बनें विपिन सर? जीवनी, आयु, वेतन, प्रेमिका पत्नी, और अधिक

Image source-google    विपिन सर (मैथ्स मस्ती) की जीवनी विपिन सर एक गणित शिक्षक , यूट्यूबर और वर्तमान में अपने ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान ( मुखिया ) भी हैं। वह एक कड़ी मेहनत और सिर्फ़ कड़ी मेहनत का एक आदर्श उदाहरण हैं जो आज हजारों नहीं बल्की लाखों युवाओं के मेंटर भी हैं। वह यूटयूब पर भारत का नंबर एक गणित शिक्षक हैं। यूटयूब पर मैथ्स मस्ती नाम पढ़ाते हुए मशहूर हुए। इसके अलावा अपने अच्छे कामों के वजह से इतने लोकप्रिय हुए की उनके ग्राम के लोगों ने उन्हें अपने पंचायत के मुखिया तक चुन लिया।      विपिन सर (मैथ्स मस्ती) का बचपन  वे एक ऐसे व्यक्ति हैं जो बहुत ही गरीब परिवार में बिहार राज्य के वैशाली जिला के सलहा पंचायत में हुआ। उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए उनके घर में इनसे पहले कोई भी ज्यादा पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते थे।   नाम विपिन कुमार राय पिता जी का नाम रामनरेश राय माता जी का नाम ज्ञात नहीं  जन्म तिथि 15-06-1991 जन्म स्थान महमदपुर (वैशाली) जिला वैशाली (बिहार) शैक्षणिक योग्यता इंटरमीडिएट विवाह 2012 पत्नी का नाम शालू यादव  ...

जेल में पढ़कर पास की BPSC परीक्षा, हथकड़ी लगे हाथों से लिया ज्वाइनिंग लेटर; रचा नया इतिहास!

 हथकड़ी में सफलता! जेल में पढ़कर पास की BPSC परीक्षा, ज्वाइनिंग लेते ही रचा नया इतिहास  पटना: मेहनत और हौसले के आगे कोई भी दीवार बड़ी नहीं होती—इस कहावत को बिहार के बिपिन कुमार ने सच कर दिखाया है। बेऊर जेल में बंद इस कैदी ने ऐसा करिश्मा किया, जिसे सुनकर हर कोई दंग रह गया। जेल की सलाखों के पीछे रहकर उन्होंने BPSC परीक्षा पास की और अब हथकड़ी लगे हाथों से शिक्षक पद के लिए ज्वाइनिंग लेटर प्राप्त किया। कैसे बनी ये अनोखी कहानी? गया जिले के मोहनपुर थाना क्षेत्र के एरकी गांव के निवासी बिपिन कुमार पर पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज है और वह पिछले डेढ़ साल से जेल में हैं। लेकिन उन्होंने अपनी हालातों को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। जेल में ही पढ़ाई जारी रखी और आखिरकार BPSC शिक्षक भर्ती परीक्षा पास कर ली। रविवार को जब बोधगया के महाबोधि कन्वेंशन सेंटर में ज्वाइनिंग लेटर वितरण समारोह आयोजित हुआ, तो हथकड़ी लगे हाथों से बिपिन कुमार ने ज्वाइनिंग लेटर लिया। यह दृश्य देखने वालों के लिए हैरान करने वाला था। क्या उनकी नौकरी सुरक्षित रहेगी?  हालांकि, उनकी नियुक्ति फिलहाल औपबंधिक (Provisional) ...

बिहार के गांव के लड़के ने रचा इतिहास: बना जूनियर वैज्ञानिक, मिली बड़ी उपलब्धि!

बिहार के गांवों में छिपी प्रतिभाओं ने एक बार फिर से अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है। एक साधारण परिवार से आने वाले इस होनहार लड़के ने अपनी मेहनत और लगन से ऐसा कारनामा कर दिखाया, जो दूसरों के लिए प्रेरणा बन गया है। इस प्रतिभाशाली छात्र को जूनियर वैज्ञानिक के तौर पर बड़ी पहचान मिली है। ग्रामीण परिवेश में सीमित संसाधनों के बावजूद इतनी बड़ी सफलता हासिल करना युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। दिव्यांशु भूषण की यह उपलब्धि उन छात्रों के लिए एक प्रेरणा है, जो बड़े सपने देखते हैं और कठिन परिश्रम से उन्हें पूरा करने की कोशिश करते हैं। उनके माता-पिता का गर्व स्वाभाविक है, और क्षेत्र के लोग भी उनकी इस सफलता से गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। प्रेरणा देने वाली कहानी यह लड़का बिहार के एक छोटे से गांव का रहने वाला है, जो समस्तीपुर जिला के विद्यापति नगर प्रखंड के बाजीतपुर गांव का सुदूर क्षेत्र है। जहां न तो तकनीक की भरमार है और न ही उच्च शिक्षा के साधन। बावजूद इसके, उसने अपनी पढ़ाई और वैज्ञानिक अनुसंधान में रुचि से यह मुकाम हासिल किया। सीमित संसाधनों के बावजूद उसने विज्ञान और तकनीक में गहरी रुचि दिखाई। जू...