झुंझुनवा मागधी का एक स्थानीय शब्द है और इसका अर्थ है एक ऐसा वाद्य यंत्र जो एक विशिष्ट माधुर्य ध्वनि उत्पन्न करता है। पहाड़ का अर्थ पहाड़ या चट्टान होता है।
यह क्षेत्र बहुत सारी चट्टानों से घिरा हुआ है और उसमें से एक विशिष्ट चट्टान है जो दूसरों के समान दिखती है लेकिन इसकी विशेषता अलग है। किसी दूसरे पत्थर से टकराने पर यह वाद्य यंत्र जैसी आवाज पैदा करता है और यही इस पत्थर की खूबसूरती है।
कहां है झुंझुनवा पहाड़?
यह बिहार के औरंगाबाद में है, जहां पवई पहाड़ के चट्टानों से सुरीली आवाज निकलती है। पहाड़ पर कई ऐसे पत्थर हैं जिसमें दूसरे पत्थर से टक्कर मारने पर झनाकेदार आवाज निकलती है। दूर से पर्यटक पवई पहाड़ देखने आते हैं परंतु पुरातत्व विभाग की नजर अब तक नहीं पड़ी है।
पहाड़ के शिखर पर शिवलिंग स्थापित है जहां सावन में जल चढ़ाने को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। पवई के आसपास कई पहाड़ हैं परंतु इन पहाड़ों पर पुरातत्व विभाग की नजर नहीं पड़ी है। कई बार इतिहास के जानकारों ने पहाड़ की खुदाई कराने की मांग उठाई परंतु अब तक सरकार की नजर नहीं पड़ी है। वैसे भी पवई गांव राजा नारायण सिंह का है। पवई रियासत के नाम से जाना जाता है।
क्या झुनझुना पहाड़ का इतिहास ?
इतिहास के जानकार प्रो. तारकेश्वर प्रसाद सिंह बताते हैं कि 1784 में राजा नारायण सिंह ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी। अंग्रेजों के नाव को सोन नदी में डूबो दिया था। नाव पर सवार कई अंग्रेज आफिसर एवं सिपाही की मौत हो गई थी। पहाड़ के पास ही राजा का किला है जो दर्शनीय है। राजा नारायण सिंह के नाम से औरंगाबाद जिला परिषद मार्केट के पास पार्क का निर्माण कराया गया परंतु यह पार्क भी अधूरा रह गया। ग्रामीण शैलेन्द्र कुमार दूबे एवं गजेन्द्र मिश्र ने बताया कि पहाड़ पर सैर करने सैलानी आते हैं। पर्यटकों के लिए कोई सुविधा नहीं है जिस कारण वे वापस लौट जाते हैं। औरंगाबाद से 6 किलोमीटर की दूरी पर पवई पहाड़ है। 1 जनवरी को यहां पिकनिक मनाने को भीड़ लगती है।
यह क्षेत्र पहाड़ों से घिरा हुआ है और बटाने नदी के किनारे स्थित बहुत सारी हरियाली है। 500 मीटर की दूरी पर एक सूर्य मंदिर (सूर्य मंदिर) भी है। सुंदरगंज नामक छोटा स्थानीय बाजार 1 किमी की दूरी पर है।
सरकार को इस जगह को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।