रामधारी सिंह 'दिनकर' हिन्दी के उन रचनाकारों में से हैं, जिनकी कविताओं से जोश और नई ऊर्जा का संचार होता है लेकिन आज उनके बनाए धरोहर स्थल को मिटाने वाले नेता ही हिंदी की ताकत ख़ुद को साबित करने में लगी हुई है। उनके बनाए दलान जहां वो अपनी रचनाओं को लिखा और पाठ किया करते थे, उसकी हालत देख कर कलेजा फट जाएगा।