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पुरातत्व विभाग ने खोज निकाली 5000 साल पुरानी सभ्यता, तस्वीरों में देखिए तब लोग कैसे थे

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 अगर हम आपसे कहें कि आज से लगभग 5000 साल पहले भी सोने और आभूषणों का चलन था, तो शायद ये बात आपके लिए चौंकाने वाली हो। लेकिन ऐसा सच है और यह साबित कर दिखाया है भारतीय पुरातत्व विभाग ने। जिन्होंने हरियाणा के राखीगढ़ी में हड़प्पा कालीन सभ्यता की खोज करके एक नया कीर्तिमान लिख दिया। 5000 वर्ष पहले कैसे बनते थे घर? कैसी होती ?

 

 मिल गया 5000 साल पुरानी सोने का खदान 

पूरे विश्व में प्रसिद्ध हरियाणा के ऐतिहासिक राखीगढ़ी साइट इन दिनों फिर चर्चा में है। यंहा पुरातत्व विभाग ने खोदाई के दौरान जो कुछ देखा, बह चौकाने बाला है। राखीगढ़ी में हड़प्पा कालीन सोने की फैक्ट्री मिली है। यह फैक्ट्री 5000 साल पुरानी है। यानी गौर किया जाय तो आज से लगभग 5000 साल पहले के लोग भी सोने और आभूषणों के शौकीन रहे होंगे। 

 इस ऐतिहासिक साइट पर पुरातत्व विभाग पिछले 32 सालों से खुदाई कर रहा है। खुदाई में समय-समय पर कई महत्वपूर्ण चीजें मिली हैं। इस बार विभाग को सील, सोना, मिट्टी की चूड़ियां व अन्य महत्वपूर्ण सामान मिला है। हालांकि गोल्ड काफी कम मात्रा में पाया गया है। वंही जो सील मिली है उस पर हड़प्पा कालीन लिपि लिखी दिखाई दे रही है, जिसे बिभाग द्वारा पढ़ने का प्रयास किया जा रहा है। 

 

अधिकारियों ने खुदाई के दौरान अवशेषों को बारीकी से देखा और उनपर अध्ययन किया, इतने वर्ष पूर्व भी हड़प्पन टाउन प्लानिंग के बड़े साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। 

1000 साल पुराने घरों की मिली डिजाइन!

भास्कर की एक रिपोर्ट अनुसार, पुरातत्व विभाग ने राखीगढ़ी में 7000 साल पुराने शहर की खोज की है। खोदाई में इस बात के पूरे साक्ष्य मिले हैं कि आज से 7000 साल पहले भी लोग योजनाबद्ध तरीके से मकान बनाते थे। बस्तियों में पानी निकासी की व्यवस्था बेहतर होती थी। सड़कों से मिलती हुई गलियां होती थीं। मकानों के अंदर किचन के स्ट्रक्चर भी पाए गए हैं।

 

हड़प्पाकालीन शहर की पुरातात्विक खुदाई में विकसित शहर होने के सबूत मिले हैं। उस शहर में पांच हजार साल पहले घर, साफ सफाई, सड़कें, आभूषण और शवों के अंतिम संस्कार के वक्त क्या क्या रखा जाता था इसके भी सबूत मिले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक हड़प्पाकाल का ये शहर विलुप्त हो चुकी सरस्वती की सहायक नदी दृश्वद्वती के किनारे बसा था। 

पुरातत्व बिभाग के अनुसार, खुदाई में मिला शहर राखीगढ़ी गांव के 11 टीलों के नीचे दफ्न है।  फिलहाल इन 3 टीलों की पुरातात्विक खुदाई से पता चला है कि राखीगढ़ी सबसे बड़े शहर के तौर पर कभी रहा होगा। सड़कों व गलियों में मोड़ पर कच्ची मिट्टी को जलाकर ईंटों को मजबूत कर लगाया जाता था, ताकि मोड़ पर निर्माण को नुकसान नहीं पहुंचे। 

उस वक्त साफ-सफाई से लेकर सड़कों का क्रमिक विकास की झलक टीला नंबर 3 की खुदाई से पता चलता है। यहां 5 हजार साल पहले की ईंटे, नालियां और नालियों के ऊपर रखे मिट्टी के इस तरह के घड़े प्राचीन इतिहास की कई अनसुलझी परतों को खोलती है। 

 

भारतीय पुरातत्व विभाग के रिसर्चर, कुमार सौरव बताते हैं कि  हड़प्पाकालीन शहर में जल निकासी की एक विकसित प्रणाली थी। वहां, तब नालियों के ऊपर घड़े की तरह एक सोक पिट रखा जाता था, जो नालियों में कचरा जाने से रोकता था। बतौर कुमार आज भी साफ सफाई के मामले में हमें उनसे सीखना चाहिए।

 महिलाओं के मिले कंकाल!

NDTV की रिपोर्ट अनुसार, राखीगढ़ी के टीला नंबर 7 के नीचे हड़प्पाकालीन लोगों के शवों का अंतिम संस्कार के सबूत मिले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक राखीगढ़ी साइट से अब तक कुल 38 कंकाल मिल चुके हैं। फिलहाल 2 महिलाओं के कंकाल मिले हैं, जिनके पास से चूड़ियां, तांबे का आइना और बिखरे हुए टूटे बर्तन मिले हैं। इन शवों के आसपास रखे सामान पर नजर डाले तो हड़प्पाकाल के विकसित होने के कई सबूत दे रहे हैं। 

कंकालों के पास शेल के बैंगल मिले हैं इनके अलावा पॉट्स और वाट्स मिले हैं।  इसका मतलब ये है कि जो उनका मनपसंद खाना था, वो चीजें लाश के साथ साथ रखा जाता था। साथ ही एक जगह खुदाई में वहां कॉपर का एक आईना भी मिला है। इसके साथ ही महिला कंकाल के पास से तांबे की अंगूठियां और सोने के पत्तर भी मिले हैं, जो आभूषण के तौर पर प्रयोग किए जाते थे।  

 

वहां सेमी प्रीसियस फाइंडिग मिली है जिसमें ये गोल्ड फ्वायल भी मिले हैं, जो इस सीजन की इम्पोर्टेंट फाइंडिंग है। कंकाल के आसपास से चूड़ियां, टूटे बर्तन का मिलना दर्शाता है कि महिलाएं उस दौर में किसी खास पद पर थीं, क्योंकि हड़प्पा काल में खास व्यक्तियों की विदाई इसी तरह से की जाती थी।

लिपि को पढ़ने का किया जा रहा है दावा

भारतीय पुरातत्व विभाग के संयुक्त महानिदेशक संजय कुमार मंजुल ने बताया कि अभी हड़प्पाकाल संस्कृति पर ज्यादा रिसर्च करना हमारी प्राथमिकता है। फ़िलहाल , खुदाई के दौरान सील और कुछ बर्तन मिले हैं, जिसमे उस समय की लिपि अंकित है। इसे अभी तक कोई पढ़ नहीं पाया है लेकिन दावा किया जा रहा है कि इस लिपि को जल्द ही पढ़ लिया जाएगा। 

  अगर ऐसा हो जाता है तो  ये उस काल के कई सारे राज खोलकर दुनिया के सामने एक पुरानी दुनिया को ले आएगा। जिससे आजतक सभी अनजान थे। फ़िलहाल, राखीगढ़ी साइट को खुला छोड़ा जाएगा और खुदाई के दौरान मिली चीजें को म्यूजियम में रखा जाएगा। और जांच रिपोर्ट तैयार कर आगे की प्रणाली पर काम किया जायेगा। फिलहाल यहां खुदाई जारी रहेगी। सितंबर 2022 से अगली खुदाई शुरू होगी। दी गई जानकारी अच्छी लगी तो तुरंत शेयर करें।

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