मेरे घर छापा पड़ा सुबह-सुबह मेरे घर छापा पड़ा
पेंशन संबंधी काग़जात
गाढ़े वक़्त और बच्चों के भविष्य के लिए सावधि-जमा
पाँच-पाँच लाख के दो खातों के सिवा
क्या था मेरे पास
फिर भी कार्रवाई चली पूरा दिन सारी रात
बाक़ायदा एक चार्जशीट तैयार की गई मेरे ख़िलाफ़
निम्न बिंदुवार-
कि मेरी जेब में मिले पाँच-पाँच सौ के नोट पूरे तीस हजार
जबकि मेरी मासिक पेंशन है कुल पच्चीस हजार
कि बॉयकॉट के बावजूद मेरी जेब में पाया गया फ़िल्म लालसिंह चड्डा के शो का आधा टिकिट
जबकि मनोरंजन-कर से मुक्त मैंने देखी नहीं
कश्मीर फाइल्स
कि मेरी क़िताबों की शेल्फ से बरामद हुआ आपत्तिजनक साहित्य
इक़बाल, फ़ैज़, मंटों,भगतसिंह की क़िताबें
गाँधी की जीवनी भारत एक खोज
जबकि राष्ट्रनिर्माता वीर सावरकर दीनदयाल उपाध्याय कुशाभाऊ ठाकरे की नहीं मिली एक भी क़िताब
कि शीर्ष पर रखा था सूर मीरा नंदराय का कवित्त गीता-रामायण के साथ
मगर इनमें शामिल है मुस्लिम कवि
रहीम रसखान अमीर ख़ुसरो का साहित्य
कि राम को लेकर मेरी सोच इसलिए संदिग्ध मानी गई
कि राममंदिर निर्माण हेतु मैंने चंदे की रसीद नहीं कटाई
मैं गिरफ़्तार
मेरे पास तक नहीं फटका
किसी टीवी समाचार चैनल का कोई संवाददाता
किसी अख़बार का कोई पत्रकार हालाँकि टीवी चैनलों पर छायी रही ब्रेकिंग-न्यूज़
अख़बारों में छपा
कि सुबह-सुबह मेरे घर छापा पड़ा
-वसंत सकरगाए-
दी गई जानकारी रवीश कुमार के फेसबुक पेज पर उपलब्ध है।