राष्ट्रीय शोक के दौरान क्या सार्वजनिक छुट्टी होती है? इस दौरान क्या कुछ बदल जाता है? जानिए इससे जुड़े नियम!
जानते हैं राष्ट्रीय और राजकीय शोक से जुड़ा नियम क्या है?
राष्ट्रीय शोक घोषित करने का नियम पहले सीमित लोगों के लिए ही था। पहले देश में केवल प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति रह चुके लोगों के निधन पर ही राजकीय या राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती थी। समय के साथ-साथ इस नियम में बदलाव होते रहे हैं। पहले जो नियम थे उसके अनुसार पद पर रहते हुए किसी प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के निधन के बाद या पूर्व प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के निधन के बाद राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती थी। अब इस में बदवाल किया गया है जिसके अनुसार, गणमान्य व्यक्तियों के मामले में भी केंद्र को यह अधिकार दिया गया है कि विशेष निर्देश जारी कर सरकार राष्ट्रीय शोक की घोषणा कर सकती है। इतना ही नहीं देश में किसी बड़ी आपदा की घड़ी में भी ‘राष्ट्रीय शोक’ घोषित किया जा सकता है।
बता दें कि राष्ट्रीय या राजकीय शोक की घोषणा पहले केंद्र से होती थी। राष्ट्रपति केंद्र सरकार की सलाह पर इसकी घोषणा करते थे।
राज्यों को भी मिला राजकीय शोक व्यक्त करने का अधिकार
अब नए नियमों में राज्यों को भी यह अधिकार दे दिया गया है। अब राज्य खुद तय कर सकते हैं कि किनके सम्मान में 'राजकीय शोक' की घोषणा करना है। अब केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग राजकीय शोक घोषित करते हैं।
राजकीय शोक में राजकीय अंत्येष्टि का आयोजन किया जाता है, गणमान्य व्यक्ति को बंदूकों की सलामी दी जाती है। साथ ही सार्वजनिक छुट्टी की भी घोषणा की जा सकती है और इसके अलावा जिस ताबूत में गणमान्य व्यक्ति के शव को ले जाया जा रहा होता है उसे तिरंगे में लपेटा जाता है। पहले यह घोषणा केवल केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ही कर सकता था लेकिन हाल में बदले हुए नियमों के मुताबिक अब राज्यों को भी यह अधिकार दिया जा चुका है और वे तय कर सकते हैं।
स्वतंत्र भारत में पहली बार राष्ट्रीय शोक की घोषणा कब की गई थीं?
मन में ये सवाल भी उठ रहे होंगे की पहली बार इसकी घोषणा भारत में कब हुई थी।
स्वतंत्र भारत में पहली बार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद 'राष्ट्रीय शोक' घोषित किया गया था।
राष्ट्रीय शोक के दौरान सार्वजिक छुट्टी अनिवार्य है या नहीं ?
केंद्र सरकार द्वारा 1997 में जारी किए गए नोटिफिकेशन के अनुसार अब सार्वजनिक छुट्टी अनिवार्य नहीं है। इसका प्रावधान खत्म कर दिया गया है। हालांकि, पद पर रहते हुए अगर किसी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का निधन हो जाए, तो छुट्टी होती है। वहीं सरकारों के पास किसी गणमान्य व्यक्ति के निधन के बाद सार्वजनिक अवकाश की घोषणा का अधिकार है। जैसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर कई राज्यों ने अपने यहां सार्वजनिक अवकाश और 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया था। जबकि 1997 से पहले राष्ट्रीय शोक के दौरान सरकारी कार्यालयों में अवकाश होती थी।
राष्ट्रीय शोक के दौरान क्या कुछ बदल जाता है आइए जानते हैं
राष्ट्रीय शोक के दौरान ,'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया' के नियमनुसार,विधानसभा, सचिवालय समेत सभी महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालयों में लगे राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहते हैं। इतना ही नहीं देश के बाहर भी भारतीय दूतावासों और उच्चायोगों में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है। इस दौरान किसी भी तरह के औपचारिक और सरकारी कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाता है। राजकीय शोक की अवधि के दौरान समारोहों और ऑफिशियल मनोरंजन पर भी रोक लगी रहती है।
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