बारिश न होने पर भगवान से नाराज शिक्षक ने देवराज इन्द्र को लिखा पत्र, कहा हमने पहले भी आपको पत्र लिखा था, लेकिन लगता है वह आपतक पहुँचा ही न हो क्योंकी...
जून माह बीतने के बाद भी मौसम का मिजाज समझ नहीं पा रहे हैं, काली घटाएं तो छा रही है लेकिन बादल बिन वर्षे लौट रही है। अच्छी बारिश न होने के चलते किसान ही नहीं परेशान हैं, बल्की एक शिक्षक ने नाराज़ होकर देवराज इन्द्र को इंद्रलोक के पत्ते पर पत्र लिखकर सबको हैरान कर दिया है। आइए जानते हैं उस पूरे पत्र में क्या लिखा गया है।
सेवा में,
श्रीमान् देवराज इन्द्र , इन्द्रलोक।
विषय - वर्षा विभाग में व्याप्त अनियमितताओं के संबंध में।
महोदय!
आषाढ़ मास बीत गया। श्रावण अपने द्वितीय तिथि में प्रवेश कर गया है। आजतक आपके बादलों ने हमारे क्षेत्र की ओर दृष्टिपात करने की आवश्यकता नहीं समझी। मैं जानता हूँ कि आप उसे भेजते तो इसी क्षेत्र में हैं किन्तु यह अपनी निजी लिप्सा या किसी अन्य कारण से कहीं और पहुँच जाता है। श्रीमान नारद मुनि ने आपको अवश्य बताया होगा कि ये मनमाने बादल किस प्रकार कुछ क्षेत्रों में पहुँचकर फट पड़ते हैं और तांडव मचा देते हैं। अभी इसने जम्मू कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर भारत तक भीषण तांडव किया है, लेकिन हमारे क्षेत्र में इन्हें झाँकने का भी अवकाश नहीं है। इन बादलों की मनमानी के प्रति आपकी उदासीनता ने हमें बहुत चिंतित किया हुआ है। इधर सूर्य देवता हैं कि प्रातः होने से पहले ही अग्निवर्षा के लिए व्याकुल रहते हैं। ऐसा लगता है कि सूर्यदेव अपनी पूरी कृपा हम पर ही बरसा देना चाहते हैं। बादलों की प्रतीक्षा में टकटकी लगाए धरती माता की आँखें पथरा सी गई है लेकिन ये बादल उद्दंड बालक की तरह पिचकारी में पानी भरकर फेंकता है और भाग खड़ा होता है।
उपर्युक्त आशय से संबंधित परिवाद हमने पहले भी आपको प्रेषित किया था। कदाचित वह आपतक पहुँचा ही न हो। हमारे सरकारी विभाग में ऐसा होना कोई अचरज की बात नहीं है। इसलिए आज निबंधित डाक से यह प्रार्थना पत्र भेज रहा हूँ। आशा है आप इसपर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए सम्यक् कार्रवाई करने की अनुकम्पा करेंगे।
भवदीय:-
भूलोकवासी, बिहार प्रक्षेत्र, आर्यावर्त।
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