समस्तीपुर में बस कंडक्टर का बेटा बना दरोगा:30 साल से बस कंडक्टर हैं पिता, मुश्किल से बेटे को पढ़ाया था
मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। कुछ ऐसा ही करके दिखाया है बिहार के समस्तीपुर के मोहीउद्दीन नगर प्रखण्ड के हरैल पंचायत के चापर गांव के पवन ने। उनका कहना है कि जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिज़ूल है। कद आसमान का। आखिर क्या है पूरा मामला जानिए
इंसान के इरादे और हौसले ही उसकी ताकत हैं। कुछ करने का जज्बा हो, तो राह कांटो भरा ही क्यों ना हो आसान हो जाती है। समस्तीपुर जिले के चापर गांव के बस कंडक्टर का बेटा पवन ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। अपनी लगन और अथक प्रयास के बूते वे बिहार पुलिस में दारोगा बन गए हैं। पिता सुनील कुमार सिंह करीब तीन दशक से बस कंडक्टर का काम कर रहे हैं।
वह बताते हैं कि हम दो भाई हैं। बड़े भईया 2018 में सीआरपीएफ में जॉब पाने में कामयाब रहे उसके बाद ही हमारे घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होना शुरू हुए। 2018 तक हम लोग झोपड़ी के घर में रहा करते थे। भईया के जॉब के बाद ही पक्के का घर बना। पापा अपने पूरी कमाई हम दोनों भाइयों को पढ़ाने और बेहतर शिक्षा कैसे मिले इस पर खर्च कर दिए। हमारी परवरिश अच्छी हो इसके लिए पिता ने जी जान से मेहनत की। बच्चों की खातिर उन्होंने जीवन में कई बलिदान किए। ऐसे में उनकी शुरुआत से ही यह ख्वाहिश थी कि कुछ ऐसा करूं जिससे हर कोई उनके पिता को सम्मान भरी नजरों से देखे। ऐसे में उन्होंने मेहनत जारी रखा और परिणाम सबके सामने है।
सफलता हर किसी के जीवन का लक्ष्य है। जीवन चुनौतियों और अवसरों से भरा है । कड़ी मेहनत और समर्पण सफलता की यात्रा का एकमात्र मंत्र हैं। उत्साह और कड़ी मेहनत के बिना कोई भी सफलता हासिल नहीं कर सकता। बस कंडक्टर , सुनील कुमार सिंह का बेटा पवन ने यह करके दिखाया है। इंटर के बाद पापा ने बाहर रख कर ही पढ़ाए। दारोगा बने पवन ने बताया कि उसके लिए पापा और बडे़ भाई जीवन में आदर्श स्थान रखते हैं।
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