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कांवड़ यात्रियों ने ही कांवड़ यात्री सैनिक कार्तिक की हत्या कर दी!

आज कल का माहौल ऐसा है कि इस ख़बर को देखते ही धक से कर गया। सेना का एक जवान कांवड़ लेकर आ रहा था, उसे कांवड़ियों ने ही पीट कर मार डाला है।

आज कल का माहौल ऐसा है कि इस ख़बर को देखते ही धक से कर गया। सेना का एक जवान कांवड़ लेकर आ रहा था, उसे कांवड़ियों ने ही पीट कर मार डाला है। 

एक कांवडि़ए की हत्या कर दी गई। बताया जा रहा है कि युवक सेना की जाट रेजीमेंट में तैनात था और छुट्टी पर साथियों के साथ कांवड़ लेने हरिद्वार आया हुआ था। जानकारी के अनुसार मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली गांव निवासी कार्तिक 25 वर्ष पुत्र योगेंद्र सेना की जाट रेजीमेंट में गुजरात में तैनात था। वह सावन में छुट्टी लेकर घर आया था और अपने मित्र ओमेंद्र पुत्र पवन सिंह के साथ बाइक पर कांवड़ लेने के लिए हरिद्वार आया था। मंगलवार को दोनों मित्र वापस लौट रहे थे। बताया गया कि हाईवे पर नगला इमरती गांव के मोड़ पर बने फ्लाईओवर पर हरियाणा के कुछ कांवडिय़ों ने उनकी बाइक के सामने अपनी बाइक फंसा दी।

जागरण की ख़बर के अनुसार दो दिन पहले मराठा लाइट इंफैंट्री के कार्तिक छुट्टी लेकर आए थे। भाई और दोस्तों के साथ बाइक से गंगाजल लेकर लौट रहे थे। हरियाणा के कांवड़ यात्रियों ने उनकी बाइक के आगे अपने वाहन खड़े कर दिए।कार्तिक ने विरोध किया तो हरियाणा के कांवड़ यात्रियों ने इतना मारा कि कार्तिक अधमरे हो गए और मारने वाले कार्तिक को छोड़ आगे बढ़ गए। कार्तिक के दोस्त अस्पताल ले गए जहां उनकी मौत हो गई।  

 

इसके बाद भी जारी रहा 

यही नहीं इसके बाद भी मार-पीट नहीं रूकी। कार्तिक की मौत की खबर के बाद सिसौली के कांवड़ यात्रियों ने हरियाणा के कांवड़ यात्रियों का पीछा किया। कुछ दूर आगे जाकर वहां भी दोनों पक्षों के बीच खूब मारपीट हुई। धारदार हथियार तक चले हैं। पुलिस ने छह कांवड़ियों को हिरासत में लिया है। इंस्पेक्टर देवेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि गैर इरादतन हत्या के आरोप में एचआर नंबर सवार 15-20 अज्ञात कांवडय़िों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। सेना के जवान की हत्या के मामले में पुलिस ने पांच संदिग्धों को हिरासत में लिया है।

अब सवाल यह है कि 

कांवड़ यात्रा को लेकर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम की खबरें मीडिया में आती रहती है कि सीसीटीवी कैमरे से निगरानी होगी। हर जगह पुलिस बल तैनात होंगे। इन पर पुष्प वर्षा होगी। फिर भी दो गुटों के बीच इतनी देर तक मार-पीट कैसे चलती रही और इतनी कैसे हो गई कि सैनिक को ही मार दिया गया। एक सैनिक को कांवड़ यात्री ही जान से मार देते हैं और मारने के बाद भी मार-पीट करते हैं।

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