बिहार: ग्राम पंचायत के किसी वॉर्ड में बाल विवाह होने पर संबंधित वॉर्ड सदस्य और मुखिया जिम्मेवार माने जाएंगे।
बाल विवाह व दहेज उन्मूलन में मुखिया व जनप्रतिनिधियों की भूमिका तय।
बिहार में बाल विवाह एवं दहेज उन्मूलन में मुखिया एवं अन्य जनप्रतिनिधियों की भागीदारी एवं भूमिका तय।
बाल-विवाह व दहेज लेने-देने की सूचना मिलते ही संबंधित ग्राम पंचायत के मुखिया तत्काल इसकी सूचना बीडीओ और एसडीओ को देंगे और बाल-विवाह को रोकेंगे। अगर, ग्राम पंचायत के किसी वार्ड में बाल-विवाह का मामला प्रकाश में आता है तो संबंधित वार्ड सदस्य एवं मुखिया जिम्मेदार माने जाएंगे। अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करने के आरोप में मुखिया को पद से हटाने की कार्रवाई भी सरकार कर सकती है।
बाल-विवाह व दहेज को लेकर पंचायतीराज विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को दिया दिशा निर्देश
पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है कि इसे सुनिश्चित कराने के लिए सभी जिलाधिकारियों और जिला पंचायती राज पदाधिकारियों को सख्त निर्देश दिया गया है। जिलों को यह भी कहा गया है कि दहेज लेने-देने से संबंधित मामला संज्ञान में आने पर जिला कल्याण पदाधिकारी को मुखिया सूचित करेंगे। उन्होंने कहा कि बाल-विवाह एवं दहेज उन्मूलन में मुखिया एवं अन्य जनप्रतिनिधियों की भागीदारी एवं भूमिका तय की गई है।
बिहार में बाल विवाह एवं दहेज उन्मूलन के ग्राम पंचायत में क्या है नियम ?
बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा 22 एवं 47 के अंतर्गत क्रमशः ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति को महिला एवं बाल कार्यक्रमों में सहभागिता करने का दायित्व सौंपा गया है। नियमावली, 2010 के नियम-9 (1) में भी ग्राम पंचायत के प्रधान को बाल विवाह की सूचना प्राप्त कर अग्रसारित करने वाले माध्यम के रूप में चिन्हित किया गया है। अधिनियम की धारा-156 के अधीन प्राप्त शक्तियों को ध्यान में राज्य सरकार मुखिया की जिम्मेदारी तय करते हुए बाल विवाह प्रतिषेध एवं दहेज प्रथा उन्मूलन के लिए कार्य योजना बनाई है, जो इस प्रकार है -
- बाल विवाह से संबंधित मामला संज्ञान में आने पर मुखिया इसकी त्वरित सूचना प्रखंड विकास पदाधिकारी (सहायक बाल विवाह निषेध पदाधिकारी) और अनुमंडल पदाधिकारी (बाल विवाह निषेध पदाधिकारी) को देंगे और बाल विवाह को रुकवाने का काम करेंगे।
- बिहार विवाह पंजीकरण नियमावली, 2006 में मुखिया को विवाह पंजीकरण का दायित्व दिया गया है। विवाह पंजीकरण के लिए विवाहों का वैध होना अनिवार्य है। पंचायत क्षेत्र अंतर्गत हर वैध विवाह का पंजीकरण करना मुखिया एवं पंचायत सचिव के लिए अनिवार्य होगा। विवाहों को पंजीकृत करने से बाल विवाह के मामलों में अंकुश लगाया जा सकता है।
- बाल विवाह होने की संभावना की सूचना प्राप्त होते ही वॉर्ड सदस्य/मुखिया संबंधित परिवार के घर पहुंचकर अभिभावकों को समझाएंगे और ऐसा न करने की सलाह देंगे। नहीं मानने पर स्थानीय थाना एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (प्रखंड विकास पदाधिकारी/अनुमंडल पदाधिकारी) को तुरंत सूचना देंगे और विवाह रुकवाने में उनका सहयोग करेंगे।
- ग्राम पंचायत के किसी वॉर्ड में बाल विवाह का मामला प्रकाश में आने की स्थिति में संबंधित वॉर्ड सदस्य और मुखिया जिम्मेवार माने जाएंगे। अपने कर्तव्यों का सम्यक निर्वहन नहीं करने के आरोप में मुखिया को पद से हटाने की कार्रवाई भी सरकार द्वारा की जा सकती है।
मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है कि बाल विवाह और दहेज प्रथा गंभीर सामाजिक बुराई हैं, जिन्हें दूर किए बिना सशक्त समाज की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। बाल विवाह मानवीय अधिकारों का निर्मम उल्लंघन है। प्रत्येक बच्चे को एक पूर्ण और परिपक्व व्यक्ति के रूप में विकसित होने का अधिकार होता है, जो बाल विवाह की वजह से क्षत-विक्षत हो जाता है। कम उम्र में विवाह से संविधान द्वारा प्रदत्त शिक्षा के मौलिक अधिकार का भी हनन होता है। शादी की वजह से बहुत सारे बच्चे अनपढ़ और अकुशल रह जाते हैं, जिससे उनके सामने अच्छे रोजगार पाने और बड़े होने पर आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने की ज्यादा संभावना नहीं बचती है। Image source-google देश और दुनिया की हर खबर Bharatprime.com ( भारतप्राइम.कॉम ) पर राजनीती , राज्य, देश, विश्व, खेल , मनोरंजन , बिज़नेस , हेल्थ , टेक्नोलॉजी , विज्ञान ,अधात्यम , ट्रेवल और दुनियां जहां की हर ख़बर भरोसे के साथ सीधे आपके पास।