अमरावती हत्याकांड ( Amravati massacre ) को NIA ने बताया आतंकी वारदात ( Terrorist act ), बर्बर हत्या के पीछे बताया हैरान करने वाला सच
अमरावती (Amrawati) के दवाई दुकान चलाने वाले उमेश प्रहलादराव कोल्हे को तीन बाइक सवार इस्लामवादियों ने 21 जून को मौत के घाट उतार दिया था,पुलिस को उमेश के बेटे संकेत ने बताया है कि 21 जून की रात उमेश अपना मेडिकल स्टोर बंद करके जा रहे थे। संकेत और उनकी पत्नी वैष्णवी दूसरे स्कूटर पर थे। संकेत के मुताबिक प्रभात चौक से होकर जब वे महिला कॉलेज न्यू हाईस्कूल के गेट पर थे तब ये जानलेवा हमला उन पर किया गया जिससे उनकी जान चली गई।
क्यों की गई महाराष्ट्र के अमरावती के रहने वाले दवाई दुकान चलाने वाले की हत्या: बताया जाता है कि उसने पूर्व भाजपा नेता नुपुर शर्मा की कथित पैगंबर विरोधी टिप्पणी का समर्थन किया था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अमारवती की घटना के पीछे का सच:
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अमारवती में उमेश कोल्हे की हत्या को आतंकी घटना बताया है। NIA ने शनिवार देर रात दर्ज प्राथमिकी में कहा कि 'देशवासियों के एक वर्ग' को आतंकित करने के मकसद से ISIS-स्टाइल में यह मर्डर किया गया। NIA इसकी भी जांच करेगी कि क्या यह मामला राष्ट्रीय साजिश का हिस्सा है या फिर देश के बाहर से इस बर्बर अपराध को भड़काया गया है।
'धर्म के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देने की कोशिश'
NIA की FIR के मुताबिक, मृतक उमेश कोल्हे की निर्मम हत्या आरोपियों और अन्य लोगों की एक बड़ी साजिश थी, जिन्होंने भारत के लोगों के एक वर्ग के बीच आतंक फैलाने की कोशिश की। साथ ही धर्म के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना इसका मकसद था। इस वारदात को 21 जून की रात 10:00 से 10:30 बजे के बीच अंजाम दिया गया। मालूम हो कि एनआईए ने शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के उस आदेश के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की है।
पीड़ित के बेटे (संकेत) की शिकायत के आधार
पीड़ित के बेटे (संकेत) की शिकायत के आधार मानकर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 16, 18 और 20 और धारा 34, 153 (ए), 153 (बी), 120 (बी) और 302 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया है। FIR में मुदस्सर अहमद, शाहरुख पठान, अब्दुल तौफीक, शोएब खान, आतिब राशिद, युसूफ खान, शाहिम अहमद और इरफान खान को अज्ञात लोगों के साथ आरोपी बनाया गया है।
अमरावती के फार्मासिस्ट उमेश प्रहलादराव कोल्हे को तीन बाइक सवार इस्लामवादियों ने 21 जून की रात मौत के घाट उतार दिया था। शुरू में इस ख़बर को मीडिया से छुपाने की नाकाम कोशिश भी की गई थी।
क्या है पूरा मामला
अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पुलिस की जांच में पता चला कि उमेश कोल्ह ने वाट्सएप ग्रुप पर नूपुर शर्मा के समर्थन में एक पोस्ट फॉरवर्ड की थी। उस पोस्ट को उन्होंने गलती से मुस्लिमों के एक ग्रुप में शेयर कर दिया। उस ग्रुप से उमेश अपने कस्टमर्स की वजह से जुड़े थे। अखबार के मुताबिक गिरफ्तार आरोपियों में से एक ने पुलिस को बताया है कि पैगंबर के अपमान की वजह से उमेश को मरना ही चाहिए था।
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