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Bihar के हर जिले में गरीबों के लिए बनेगा 'Modi Nagar' और 'Nitish Nagar' , जानिए किस जिले से होगी शुभारम्भ

                    

मानसून सत्र के आखिरी दिन मंत्री रामसूरत राय ने बिहार विधान सभा में घोषणा की है की हर जिले में गरीबों के लिए मोदी नगर और नीतीश नगर बसाया जाएगा। इस योजना की शुरुआत बांका जिले से की जानी है।
'गरीबों के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। शहरों का विकास के साथ-साथ गांव के गरीबों के विकास के लिए सरकार ने पीएम आवास योजना अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का संकल्प लिया है। शहरों के तरह गरीबों का भी स्मार्ट गांव बनेगा। बिहार में मोदी नगर और नीतीश नगर के नाम से ये गांव जाने जाएंगे'।
भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग के मंत्री रामसूरत राय (Ramsurat Rai) ने कहा कि पूरे बिहार के अंदर गरीबों को जमीन बांटी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मकान आवास योजना के तहत पैसा देंगे। इसके बाद जमीन आवंटित कर उस पर घर बनवाया जाएगा।
 
रामसूरत राय ने कहा कि पैसा आने के बावजूद भी जमीन नहीं होने के कारण मकान नहीं बन पा रहा था. अपने विभाग की समीक्षा की और पाया कि गरीबों को पर्चा बांटना है, लेकिन विगत कुछ वर्षों से पर्चा नहीं बांटा जा रहा है। इसको लेकर कटिहार, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर, जमुई में पर्चा बांटना शुरू किया। विस्थापितों को बसाने के लिए पांच से दस एकड़ जमीन आवंटित कर 100 से 200 परिवार को बसाने की प्लानिंग है। बांका के रजौन में आठ एकड़ में भूमि चिह्नित की गई है। उस भूमि पर जिलाधिकारी को प्लानिंग बताई गई है।

बिहार के हर जिले में बनेगा मोदी और नीतीश नगर ( Modi and Nitish Nagar will be built in every district of Bihar ): हर जिले में नगर बसाये जाने के पहले चिह्नित जमीन के पास से रोड निकाला जाएगा। और फिर वहां पोल लगाया जाएगा। जिसके बाद जमीन के प्लॉट पर कैम्प लगा कर जमीन आवंटित की जाएगी। और जमीन की चौहद्दी के बारे में भी जानकारी दी जाएगी ताकि आगे जाकर लड़ाई न हो। इसी तरह हर जिले में ऐसे दो नगर बसाये जाने की प्लानिंग है। जिसका नाम मोदी नगर और नीतीश नगर रखा जाएगा। इस योजना को दो साल के अंदर हर जिले में पूरा कर लेने की प्लानिंग है।

विपक्ष ने योजना का किया विरोध ( The opposition opposed the plan ): आरजेडी ( RJD) के वरिष्ठ नेता आलोक मेहता ने इस योजना को लेकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि ये तो पुराना कॉन्सेप्ट है। इसके पहले कई स्टेशन के नाम बदले गए, शहरों के नाम बदले गए हैं। उसी तरह ये पुराना कॉन्सेप्ट है बस नाम बदला गया है। योजना का क्या हुआ जो आपने वादा किया था कि तीन डिसमिल जमीन मिलेगी। आज 18 वर्षों के बाद भी आप नाम ही खोज रहे हैं। जमीन मिलेगी कि नहीं , मिली कि नहीं मिली, जिनकी मिली उनके कब्जे हो रहे हैं उस पर सरकार का कहां ध्यान है?

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