प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से नाराज़ शिक्षक ने जानिए क्यों लिखा यह दूसरा अवसर है जब हम आपके मास्टर स्ट्रोक को आपकी कायरता के रूप में देख रहे हैं | An angry teacher told PM Modi this is the second time we are seeing your masterstroke as your cowardice
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैसले से बहुत सारे लोग नाराज़ और खुश होते रहते हैं, लेकिन एक शिक्षक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इतना नाराज हुआ कि अपने सोशल मीडिया पर नाराजगी जाहिर करते हुए एक ओपन लेटर ही प्रधानमंत्री के नाम लिख डाला। ये लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। लेटर के शुरुआत में लिखा, यह दूसरा अवसर है जब हम आपके मास्टर स्ट्रोक को आपकी कायरता के रूप में देख रहे हैं। Image source-google
आइए जानते हैं आख़िर उस पूरे लेटर में शिक्षक ने ऐसा क्या लिखा की सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
माननीय मास्टरस्ट्रोकवादी प्रधानमंत्री जी!
यह दूसरा अवसर है जब हम आपके मास्टर स्ट्रोक को आपकी कायरता के रूप में देख रहे हैं। कृषि कानूनों को वापस लेकर आपने देश के बहुसंख्यक किसान के साथ जो विश्वासघात किया था उसके घाव अभी भरे भी न थे कि आपने उसपर मिर्ची छिड़क दिया। कृषि कानूनों को वापस लेने के निर्णय को तो किसी सीमा तक आप न्यायोचित ठहरा भी सकते थे क्योंकि सड़क पर हजारों आततायियों में कुछ अनभिज्ञ अपने किसान भी सम्मिलित थे। लेकिन अपनी पार्टी की प्रवक्ता को केवल इसलिए पार्टी से निष्कासित कर देना कि उनका बयान एक चवन्नी छाप अरब देश को पसंद नहीं आया, कैसे न्यायोचित ठहराएँगे! आपके इस निर्णय से कोई समुदाय नहीं, अपितु राष्ट्र लज्जित हुआ है।
हम किसी किसी पंथ के पांथिक ग्रंथ के ज्ञाता भले न हों लेकिन सोशल मीडिया के इस युग में कोई तथ्य हमसे छिपा भी तो नहीं है। नूपुर शर्मा जो कुछ कहा वह उनका व्यक्तिगत विचार तो न था। वह तो उस पुस्तक का उद्धरण दे रही थीं जिसे संबद्ध समुदाय अंतिम सत्य मानता है। आपकी दशा इतनी दयनीय कैसे हो गई कि हमारे एक नगर जितनी आबादी वाला एक अदना सा देश भारतीय दूतावास को क्षमायाचना के लिए कहने की धृष्टता करे! लेकिन उसने धृष्टता तो की, और आप उसके समक्ष केवल झुके नहीं, रेंगते नजर आए। आप अपने इस निर्णय से कदाचित उसी मार्ग पर चल पड़े हैं जिस मार्ग पर चलते हुए कभी गाँधी ने खिलाफत जैसे सांप्रदायिक मुद्दे को असहयोग आंदोलन के साथ जोड़कर भारत को सदियों की त्रासदी में ढकेल दिया।
आपने कभी विचार किया है कि भारतीय संस्कृति और देवी देवताओं के प्रति प्रतिदिन कितनी अपमानजनक टिप्पणियां होती हैं। क्या उन टिप्पणियों से हमारा हृदय आहत नहीं होता! आपने कितने ऐसे लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की है? 'राष्ट्र प्रथम' के नारे के साथ सत्ता शीर्ष पर पहुँचने के बाद आपकी प्राथमिकताएँ जिस प्रकार तेजी से बदल रही है उससे अब आपके प्रति लोगों के मन आक्रोश ही नहीं वितृष्णा उत्पन्न हो रही है। आप किस बात को लेकर भीरु बन गए माननीय छप्पन इंच! क्या आपकी अंतरराष्ट्रीय छवि खराब हो जाएगी! जब राष्ट्र की छवि ही आपने धूमिल कर दी है तो हम आपकी छवि का अचार डालेंगे! अपनी छवि की इतनी ही चिंता है तो हमें हमारे हाल पर छोड़कर विदा ले लीजिए, शायद बाद में सम्मान विदाई का अवसर भी न गवाँ दें।
आपको डर है कि ये उत्पाती देश को गृहयुद्ध में झोंक देंगे! यही धमकी देकर तो इन्होंने अपने लिए एक अलग देश बना लिया। तो क्या उनकी माँग पूरी हो जाने पर देश में रक्त नहीं बहे! जिनके लिए संविधान से ऊपर उनकी मान्यताएँ हैं, उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास करना छिद्रयुक्त बर्तन में पानी भरने जैसा है। उनकी हर एक माँग की पूर्ति के साथ हम आत्मघात की ओर बढ़ रहे हैं। यदि गृहयुद्ध ही इस राष्ट्र की नियति है तो हो जाने दीजिए। कभी-कभी राष्ट्र के नवनिर्माण के लिए भीषण संग्राम अपरिहार्य हो जाता है। इस समरयज्ञ में संपूर्ण भारतीय समाज अपनी आहुति देने को तत्पर है।
शठे शाठ्यम समाचरेत!
लेटर लिखने वाले शिक्षक का नाम फेसबुक पर ( हिन्दी में ) शैलेन्द्र कुमार सिंह है , जो लगभग 20 वर्षों से शिक्षा प्रदान कर रहें हैं। ये इतिहास और पॉलिटिकल साइंस के एक अच्छे जानकार शिक्षक हैं।
वैसे इस फ़ैसले से बीजेपी के बहुत सारे कार्यकर्ता और समर्थक भी नाराज़ दिख रहे हैं। नुपुर शर्मा के सपोर्ट में काफी दिनों से ट्वीटर समेत तमाम सोशल मीडिया पर अभियान चलाया जा रहा है। आप क्या मानते हैं बीजेपी के फ़ैसले को लेकर कॉमेंट करके बताएं।
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