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सबके नाथ एकनाथ, समर्थक विधायकों का रपचिक डांस - रवीश कुमार

 

Ravish Kumar on Eknath shinde

रवीश कुमार एक ऐसे पत्रकार के रूप में जाने जाते हैं , लेकिन इस बार उन्होंने एकनाथ शिंदे के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने पर गाना गाते हुए जो लिखा उसे आप भी पढ़िए।

सबके नाथ एकनाथ, समर्थक विधायकों का रपचिक डांस क़सम से शिंदे के विधायक डांस अच्छा करते हैं।क्या स्टेप्स मारेला है अपुन का भाई लोग बाप। रपचिक डांस का टाइम आएला है। महाराष्ट्र में डांस पोलिटिक्स छाएला है, बीड़ू। राजनीति पैसों का खेल है और ये फ़ाइव स्टार होटल है। राशन की दुकान नहीं, जहां प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण योजना के तहत मुफ़्त अनाज और एक किलो तेल बंटने वाला है। पाँच सितारा हिन्दुत्व है। 

 

इस पेज पर आने वाले पाठक जानते हैं कि मैं डांस का घोर समर्थक हूँ। हर किसी को डांस आना चाहिए।बीजेपी के विधायकों को भी डांस करना चाहिए। उनका दिमाग़ इसमें उलझा होगा कि मोदी जी का मास्टर स्ट्रोक तो है लेकिन उन्हें क्यों स्ट्रोक लग गया? ऐसे में वे नोटबंदी याद करें। वो भी मास्टर स्ट्रोक था लेकिन उसका नतीजा क्या निकला, किसी को पता नहीं चला। ये शॉक थेरेपी है ताकि आप पुराना सब भूल जाएँ और अपने झटके को सँभालने में लग जाए जिस तरह से गोदी मीडिया के ऐंकर झटका खा रहे हैं। 

देवेंद्र फड़णवीस मुख्यमंत्री से उप मुख्यमंत्री बनने वाले पहले नेता हैं? यह सोचने का समय नहीं है। फड़णवीस उद्धव ठाकरे के सामने विपक्ष के नेता थे। अब उद्धव के भूतपूर्व डिप्टी एकनाथ शिंदे के सामने डिप्टी हो गए। ये शायद पहली बार हुआ हो? फड़णवीस को मुख्यमंत्री मान चुके गोदी मीडिया को यह बताना चाहिए कि वे अपनी दिली इच्छा रिपोर्ट कर रहे थे या कोई ठोस सूचना थी? 

मुझे आज विधायकों को डांस करते देख बहुत ख़ुशी हुई है। विधायकों ने बता दिया कि वे दोहरा चरित्र नहीं रखते। 

 

उनके डांस से लग रहा है कि वे पहली बार बाग़ी होने के बाद फ़ाइव स्टार नहीं गए हैं। पहले से ही जाते रहे हैं। पाँच सितारा होटल के टेबल पर नाचते-नाचते चढ़ जाने का मतलब है कि विधायक अपनी प्रवृत्ति में बाग़ी तेवर के हैं। सड़क पर जैसा डांस सिखा है, वैसा फ़ाइव स्टार में भी किया है। इसका मतलब उनके भीतर कोई हीन ग्रंथि नहीं है। पैसे के बिना और सफ़ेद पैसे से राजनीति नहीं होती। ये बात जनता भी जानती है। इसी पैसे में से तो वो वोट के पहले कुछ हिस्सा ले लेती है !  इस पैसे की खूबी यही है कि सबके सहयोग से आता है और सबमें बंटता है। जो पैसा ईमानदारी का होता है, वो राजनीति के किसी काम नहीं आता। इतना कम होता है कि बैंक अकाउंट में सड़ता रहता है। हिन्दुत्व की राजनीति में डांस मना नहीं है, बस भाई लोग भरत नाट्यम नहीं कर रहे हैं। लेकिन पाश्चात्य से झगड़ा ही कब था।

ये ब्लॉग रैमन मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित पत्रकार और एनडीटीवी के प्रबंध संपादक रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है। (Image source-google )

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