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IPL की टीमें पैसे कैसे कमाती हैं? आईपीएल बिजनेस मॉडल जान हो जाएंगे हैरान!

IPL: ipl यानि, इंडियन प्रीमियर लीग  इसे आमतौर पर आपने कई लोगों को इंडियन पैसा लीग भी बोलते हुए सुने होंगे। ऐसा क्यों कहा जाता है आईए जानते हैं। एक आईपीएल की टीम खरीदने में काफी अधिक पैसे लगते हैं , लेकिन आईपीएल जीतने वाली टीम की बात करें तो उसे मात्र ₹20 करोड़ रूपए दिए जाते हैं वो भी तब जब वो टीम फाइनल मैच जीत जाते हैं। जबकि आपने सुना और देखा है कि सिर्फ एक प्लेयर को खरीदने के लिए ₹15 करोड़ रूपए से अधिक खर्च कर देते हैं और आईपीएल टीम के मालिक को एक पूरी टीम बनाने के लिए प्लेयर खरीदने के लिए ₹90 करोड़ रूपए होना चाहिए। उसके बाद जो भी टीम आईपीएल जीतती है और जीतने पर जो रुपए उन्हें मिलते हैं उनका 20% BCCI को देना होता है।
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तो फिर ये सवाल आता है कि इतने सारे रुपए कोई भी ₹20 करोड़ रूपए के लिए क्यों करना चाहेगा। आप सही सोच रहे हैं। कोई भी टीम इस ₹20 करोड़ रूपए के प्राइज मनी के भरोसे नहीं रहती है। आइए जानते हैं कि कोई भी आईपीएल टीम के मालिक पैसा कैसे और कितना कमाते हैं।

IPL बिजनेस मॉडल: सबसे  पहले और सबसे ज्यादा पैसा आता है ब्रॉडकास्टिंग राइट्स से यानि जिस चैनल के माध्यम से आप आईपीएल के मैच देख रहे होते हैं। जैसे की 2008 से 2017 के आईपीएल मैच को दिखाने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ सोनी के पास थे। और आप उस टाइम पर सोनी पर आईपीएल मैच रहे थे। इसके लिए सोनी दस साल के लिए ₹8200 करोड़ रूपए दिए थे। उसके बाद बोली लगी और star India ने 5 साल यानि 2018 से 2022 तक के लिए ₹16,347 करोड़ रूपए में राइट्स खरीदे। ये जो पैसा आता है इसका 50% बीसीसीआई ले लेता है और बाकी बचे 50% ipl के टीम में बराबर बराबर दे दिया जाता है।

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 ब्रॉडकास्टिंग राइट्स के लिए इतने सारे पैसे देते क्यों है:

पुरे विश्व में आईपीएल को बहुत पसंद किया जाता है। अगर आप लास्ट आईपीएल की बात करें तो 462 मिलियन लोगों ने आईपीएल मैच को देखा था, और इतने सारे लोग जब कोई चीज एक साथ देखते हैं तो ब्रांड आ जाते हैं अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए। मैच के दौरान जो आप प्रचार देखते हैं उस 10 से 12 सेकेंड के लिए 13 लाख रुपए लिए जाते हैं। ऐसे ये अमाउंट कम लग रहा है लेकिन आप इसेऑन एवरेज 45 दिन चलने वाले आईपीएल मैच के हिसाब से काउंट करेंगे तो समझ जाएंगे कि ये कितना कमाते हैं। इसकी सारे चैनल ब्रॉडकास्टिंग राइट्स के लिए बोली लगाने के लिए लगे रहते हैं।
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टाइटल स्पॉन्सरशिप: आपने देखा होगा कि कभी कोई आईपीएल के लिए सिर्फ आईपीएल नहीं बोला जाता है कभी इसे DLF IPL कभी pepsi IPL तो कभी Vivo IPL और अभी Tata IPL बोला जा रहा है। सिर्फ इसे बोलवाने के लिए कंपनियां काफ़ी रूपये देती है। हर कम्पनी चाहती है कि उसका नाम बोले इसलिए इसकी बोली लगाई जाती है और जो कम्पनी ज्यादा पैसा देती है उसके नाम से आईपीएल का नाम बोली जाती है।
2008 से 2012 तक DLF IPL बोलवाने के लिए DLF ने ₹200 करोड़ रूपए दिए। फिर अगले तीन साल के लिए पेप्सी ने ₹396 करोड़ रूपए दिए, फिर vivo ने 2018 से 2022 तक के लिए ₹2199 करोड़ रूपए दिए। फिर चीन इंडिया विवाद के चलते ये टाइटल स्पॉन्सरशिप टाटा को दिए गए ₹300 रूपये हर साल के लिए। इसका जो भी रेवेन्यू आता है इसका 60% BCCI और बाकी बचे 40% ipl टीम में बांट दिया जाता है।
जिस ग्राउंड में मैच होते हैं उसके टिकट का प्राइस होम टीम तय करती है। एक मैच के टिकट से कमाई औसतन ₹5 करोड़ रूपए होती है। जिसका 80% टीम मालिक को और 20% उस ग्राउंड एसोसिएशन को मिलता है।
टीम के प्लेयर जो t,-shirt पहनते हैं उस पर लगे अलग अलग कम्पनी के logo और नाम वो ब्रांड पैसे देते हैं।
पुरे मैच के दौरान आप ग्राउंड पर जहां पर भी प्रचार देखते हैं यानि अलग अलग कम्पनी के नाम और logo के लिए उस सबके पैसे मिलते हैं टीम को।
   इसके अलावा जितने भी प्रचार टीम के प्लेयर करते हैं इसका पैसा भी टीम के मालिक को जाता है। और सबसे अंतिम में आता है विनिंग अमाउंट जो कि जितने वाली टीम को ₹20 करोड़ और रनर अप टीम को ₹12.5 करोड़ रूपए दिए जाते है।
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