Indian Army Update: पिछले साल दिसंबर में एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया जिसमें कहा गया कि इंडियन आर्मी में अभी 1 लाख 3 हज़ार सैनिकों की कमी है और दिसंबर से लेकर अब तक ये आंकड़ा लगभग 20% तक बढ़ गई है। Image source-google
सरकार का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हमारे आख़िरी तीन साल महामारी से लड़ने में निकल गए। सैनिकों की इतनी कमी कई लोगों को चिन्ता में डाल सकती है तो वहीं कई डिफेंस एक्सपर्ट जिनमें जनरल एच. एस. पनाग भी शमिल हैं वो इस आंकड़े से ज्यादा चिंतित नहीं हैं बल्कि उनका तो मानना है कि इंडियन आर्मी में सैनिकों की संख्या को और भी कम किया जाए। ये बात भी आपको हैरान कर सकती है। लेकिन लगता है कि सरकार भी जनरल पनाग के आइडिया पर ही चल रही है; पर आख़िर क्यों सरकार इंडियन आर्मी की साइज कम करना चाहती है? और इसे क्या हो सकता है? आइए जानते हैं। Image source-google
सरकार का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हमारे आख़िरी तीन साल महामारी से लड़ने में निकल गए। सैनिकों की इतनी कमी कई लोगों को चिन्ता में डाल सकती है तो वहीं कई डिफेंस एक्सपर्ट जिनमें जनरल एच. एस. पनाग भी शमिल हैं वो इस आंकड़े से ज्यादा चिंतित नहीं हैं बल्कि उनका तो मानना है कि इंडियन आर्मी में सैनिकों की संख्या को और भी कम किया जाए। ये बात भी आपको हैरान कर सकती है। लेकिन लगता है कि सरकार भी जनरल पनाग के आइडिया पर ही चल रही है; पर आख़िर क्यों सरकार इंडियन आर्मी की साइज कम करना चाहती है? और इसे क्या हो सकता है? आइए जानते हैं। Image source-google
इस बात को समझने से पहले ये देखना होगा कि अन्य आर्मी क्या करती है। ये बात हम सबकों गौरवांवित करती है कि इण्डिया की आर्मी साइज के अनुसार दुनिया की चौथी सबसे बड़ी आर्मी है। लेकीन हम ये समझते हैं कि अमेरिका अभी क्या कर रहा है। जिनकी आर्मी वर्ल्ड फेमस है। अमेरिका में 20 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि उसकी आर्मी की साइज 10 लाख से कम कर लिया है। Image source-google
इसका एक कारण यह भी है कि अमेरिका ईराक और अफगानिस्तान में युद्ध लड़ रहा था; लेकीन अब ऐसे हालात नहीं है। इसके अलावा अगर हम दूसरे देश जैसे फ्रांस और दूसरे देश के आर्मी को देखें तो उनके साइज इंडियन आर्मी से कम है फिर भी उन्हें दुनियां में इंडियन आर्मी से ऊपर रेंकिंग मिला हुआ है। ऐसा क्यों हम सभी जानते हैं कि इन देशों के पास टेक्नोलॉजी है जबकि इंडिया से 30- 35 प्रतिशत कम आर्मी है। इसलिए ये मांग उठ रही है कि भारत के आर्मी की साइज भी कम से कम 20 प्रतिशत तक कम कर दिया जाए। Image source-google
इसका एक कारण यह भी है कि अमेरिका ईराक और अफगानिस्तान में युद्ध लड़ रहा था; लेकीन अब ऐसे हालात नहीं है। इसके अलावा अगर हम दूसरे देश जैसे फ्रांस और दूसरे देश के आर्मी को देखें तो उनके साइज इंडियन आर्मी से कम है फिर भी उन्हें दुनियां में इंडियन आर्मी से ऊपर रेंकिंग मिला हुआ है। ऐसा क्यों हम सभी जानते हैं कि इन देशों के पास टेक्नोलॉजी है जबकि इंडिया से 30- 35 प्रतिशत कम आर्मी है। इसलिए ये मांग उठ रही है कि भारत के आर्मी की साइज भी कम से कम 20 प्रतिशत तक कम कर दिया जाए। Image source-google
सरकार का पक्ष क्या है सेना करने को लेकर आईए जानते हैं: जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2014 में पहली बार सत्ता में आए थे तभी यह कह दिए थे कि अब फुल स्केल वॉर बहुत कम होंगे। इसलिए हमें छोटे छोटे वॉर के लिए तैयार होना होगा। 'वो. कहते हैं कि आर्मी का एक्सपेंशन न सिर्फ़ मुश्किल बल्कि यह गैर जरुरी भी है।' अगर आप इण्डिया के डिफेंस बजट को देखें तो 2011 में हम 18 प्रतिशत बजट हम पेंशन देने में खर्च कर रहे थे; जबकि 36 प्रतिशत बजट नई टेक्नोलॉजी और नए हथियार खरीदने में कर रहे थे। जबकि 2014-15 के बाद बजट का 28 प्रतिशत पेंशन देने में ,14 प्रतिशत सैलरी देने में और सिर्फ़ 25प्रतिशत नए हथियार और नए टेक्नोलॉजी खरीदने में। Image source-google
ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार डिफेंस बजट का बहुत बड़ा हिस्सा पेंशन और सैलरी देने में खर्च कर देती है। 2021 में सरकार ने 1 लाख 20 हजार करोड़ रूपए सिर्फ़ पेंशन और सैलरी देने में खर्च कर दिए थे। इसके अलावा 20हजार करोड़ रूपए सिविलिन आर्मी को सैलरी देने में खर्च किए। इस साल भारत ने 1.52 लाख करोड़ रूपए सिर्फ़ हथियारों पर खर्च किया। जबकि सैलरी देने में ही हमने 1.54 लाख करोड़ रुपए खर्च कर दिए। यानि भारत की सैलरी और पेंशन की बजट हमारे हथियार खरीदने से भी ज्यादा है। Image source-google
ऐसे में भारत के लिए हथियार और नई टेक्नोलॉजी खरीदना बड़ा मुश्किल है। ऐसे में अगर आप ये सोच रहे हैं की दोनों साथ साथ कर सकते हैं तो आप गलत हैं; कयोंकि जब भारत ने राफेल विमान खरीदा था तो उस साल इंडियन एयरफोर्स के कई सारे आपरेशन को बन्द करना पड़ा था; कुकी राफेल के कारण डिफेंस बजट में और कमी आ गई।
वैसे भारत में आर्मी का साइज़ कम करना बहुत से लोगों को अच्छा नहीं लगेगा। क्योंकि भारत में एक बहुत बड़ी आबादी आर्मी को अपना कैरियर समझते हैं। लेकीन दूसरी ओर ये सोचना चाहिए कि सचमुच भारत को जुड़ा सैनिक चाहिए या फिर बेहतर हाथियार और टेक्नोलॉजी।
ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार डिफेंस बजट का बहुत बड़ा हिस्सा पेंशन और सैलरी देने में खर्च कर देती है। 2021 में सरकार ने 1 लाख 20 हजार करोड़ रूपए सिर्फ़ पेंशन और सैलरी देने में खर्च कर दिए थे। इसके अलावा 20हजार करोड़ रूपए सिविलिन आर्मी को सैलरी देने में खर्च किए। इस साल भारत ने 1.52 लाख करोड़ रूपए सिर्फ़ हथियारों पर खर्च किया। जबकि सैलरी देने में ही हमने 1.54 लाख करोड़ रुपए खर्च कर दिए। यानि भारत की सैलरी और पेंशन की बजट हमारे हथियार खरीदने से भी ज्यादा है। Image source-google
ऐसे में भारत के लिए हथियार और नई टेक्नोलॉजी खरीदना बड़ा मुश्किल है। ऐसे में अगर आप ये सोच रहे हैं की दोनों साथ साथ कर सकते हैं तो आप गलत हैं; कयोंकि जब भारत ने राफेल विमान खरीदा था तो उस साल इंडियन एयरफोर्स के कई सारे आपरेशन को बन्द करना पड़ा था; कुकी राफेल के कारण डिफेंस बजट में और कमी आ गई।
वैसे भारत में आर्मी का साइज़ कम करना बहुत से लोगों को अच्छा नहीं लगेगा। क्योंकि भारत में एक बहुत बड़ी आबादी आर्मी को अपना कैरियर समझते हैं। लेकीन दूसरी ओर ये सोचना चाहिए कि सचमुच भारत को जुड़ा सैनिक चाहिए या फिर बेहतर हाथियार और टेक्नोलॉजी।
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