गीतांजलि श्री (Gitanjali shree): 2022 का 'बुकर प्राइज़' गीतांजलि श्री को उनके उपन्यास रेत समाधि के लिए मिला है। इस साल जब यह किताब 13 किताबों के साथ 'बुकर प्राइज़' के लिए सूची में शामिल हुआ तब लोग केवल सूची में शामिल होने की खुशियाँ मना रहे थे।
Image source-googleजब शॉर्टलिस्टेड होकर 6 किताबों में 'रेत समाधि' का नाम आया तो उनको जानने वालों और कई पाठकों को लगा बस यहां तक पहुंच गए और अब जब 'रेत समाधि' को बुकर पुरस्कार मिल चुका है इसकी खुशी पुरी दुनिया में है। Image source-google
गीतांजलि श्री का जीवन परिचय: उत्तर प्रदेश के गोरउड़ गांव में 12 जून 1957 को जन्मी थी। यह गांव उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मुहमदाबाद तहसील में है। गीतांजलि श्री की प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में हुई है। बाद में दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज से स्नातक और स्नातकोत्तर जेएनयू की। गीतांजलि श्री पिछले तीन दशक से लेखन की दुनिया में सक्रिय हैं। श्री की तीन उपन्यास समते कई कथा संग्रह प्रकाशित हो चुकी हैं। गीतांजलि श्री का ‘रेत समाधि’ उनका पांचवां उपन्यास है। पहला उपन्यास ‘माई’ है। उनके नाम के साथ श्री लगा हुआ है जो कि उनकी मां का नाम है। गीतांजलि श्री के पति का नाम सुधीर चंद्र है। वो भी लेखक हैं। कृष्णा सोबती से प्रभावित रही हैं बुकर प्राइज जीतने वाली गीतांजलि श्री।
Image source-googleगीतांजिल श्री की उपन्यास रेत समाधि के बारे में: एक इंटरव्यू में गीतांजलि श्री ने बताया है कि इस उपन्यास को लिखने में 7 से 8 साल लग गए हैं।गीतांजलि श्री की इस पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद, ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’, डेजी रॉकवेल (Daisy Rockwell) ने किया है और जूरी सदस्यों ने इसे शानदार और अकाट्य बताया है। 'टॉम्ब ऑफ सैंड' प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा की पहली किताब है। उन्होंने 50 लाख रुपए का पुरुस्कार राशि का अपना पुरस्कार लिया और पुस्तक के अंग्रेजी अनुवादक, डेजी रॉकवेल के साथ इसे साझा किया। जूरी सदस्यों ने इस उपन्यास के बारे में कहा कि यह पुस्तक ‘‘हमें 80 वर्षीय महिला के जीवन के हर पहलू और आश्चर्यचकित कर देने वाले अतीत में ले जाती है"।
Image source-googleकितनी खुशी की बात है कि हिन्दी की रचना को यह सम्मान दिया है; लेकिन इस पुरस्कार को जीतने के बाद एक बात बड़ी अजीब देखने को मिली वो ये है की इस पुरस्कार के मिलने के बाद न तो जिस राज्य से गीतांजलि श्री आती हैं यानी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तरफ से ट्वीट कर बधाई दी गई और ना ही भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तरफ से ही ट्विट कर बधाई दी गई।
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