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एंड्रॉइड की तुलना में कम रैम वाले आईफोन तेज क्यों: आपने ये अक्सर लोगों से कहते सुना होगा कि आईफोन में कम रैम होते हैं जबकि एंड्रॉयड फोन में ज्यादा रैम होते हैं, अब एंड्रॉयड फोन में 18जीबी तक रैम आने लगे हैं; जबकि आईफोन में में अभी तक 6जीबी रैम से ज्यादा नहीं होते फिर भी आईफोन, एंड्रॉइड की तुलना में अधिक तेजी से काम करता है। जबकी एंड्रॉइड हैंग भी करता है जबकि आईफोन इतने कम रैम में भी इतना स्मूथ कैसे चल जाता और कभी हैंग नहीं करता है, तो आईए आज जान लेते हैं इसके पीछे के कारण। Image source-google
इसे जानने के लिए साबसे पहले समझ लेते हैं कि रैम और रोम में क्या फर्क होता है। रैम, मतलब सब जानते हैं कि रैंडम एक्सेस मेमोरी, जिससे आपके एप्लिकेशन चलती है, जिसमें वो लोड होती है यानी जितना ज्यादा रैम होंगे उतने ज्यादा एप्लिकेशन एक साथ खोल सकते हैं।रोम, मतलाब रीड ओनली मेमोरी होता है। ये मेमोरी होता है जितना आप स्टोर कर सकते हैं। ये मेमोरी होती है कि आप अपने स्मार्टफोन में कितना ऐप स्टोर कर सकते हैं यानि कितने सारे डाटा को अपने फोन में स्टोर कर सकते हैं। जैसे आप बोलते हैं ना 4/64,6/128 इसका क्या मतलब होता है आप अच्छे से जानते हैं की 4 जीबी इसमें रैम है 64 जीबी रोम है।
image source-googleकारण: एंड्रॉइड फोन में आप चाहे जितनी मर्जी रैम डाल लो वो एक साथ चल नहीं पाती। इसके पीछे के कारण हैं एंड्रॉइड फोन में जितने भी एप्लिकेशन होते हैं वो नहीं इस्तेमाल करने भी बैकग्राउंड में चलते रहती है। जैसे आपका फेसबुक, व्हाट्सऐप या कोई और भी एप्लिकेशन आप इस्तेमाल नहीं कर रहे होते हैं फिर भी एंड्रॉयड फोन में बैकग्राउंड में चलते रहती है; जिससे वह बहुत रैम यूज करते रहती है। मतलब अगर आपके फ़ोन में 8 जीबी रैम है न आपके एंड्रॉयड का तो उसमें कभी कभी 4 जीबी -5 जीबी तो बैकग्राउंड का प्रोसेस ही यूज कर रहे होते हैं। जिससे इतने ज्यादा रैम होने के बावजूद एंड्रॉयड फोन में रैम की कमी रहती है।
image source-googleजबकि आईफोन की बात करें तो आईफोन का टॉम-स्टोन मैके-निजम काफी अच्छा है। इस मैके-निजम का मतलब होता है कि आप जिस एप्लिकेशन का इस्तेमाल कर रहे होते हैं वही एप्लीकेशन बैकग्राउंड में चल रहा होता है बाकी एप्लीकेशन फ्रीज हो जाता है। हालांकि पुश नोटीफिकेशन आता है लेकिन वो बैकग्राउंड में नहीं चल रहा होता है। जिससे सारा रैम फ्री रहता है और सारा रैम उसी एप्लिकेशन में यूज हो रहा होता है जिसे आप इस्तेमाल कर रहे होते हैं; यही कारण है कि आईफोन 4जीबी रैम और 6जीबी रैम में भी बहुत अच्छा परफॉर्म कर लेता है।
दूसरी वजह ये है कि एंड्रॉयड एक ओपन मार्केट है जहां इसके लिए कोई भी एप्लिकेशन बना कर के पब्लिश कर सकता है। इसके सिर्फ़ एक बार के लाइसेंस लेना होता है।
जबकि आईफोन एक क्लोज एनवायरनमेंट में काम करता है। इसका अपना एक ईको सिस्टम है यहां पर कोई भी कुछ भी एप्लीकशनबना कर पब्लिश नहीं कर सकता। इसके काफी स्ट्रिक्ट नियम है।
Image source-googleअगली चीज है यूनिफाइड पुश नोटीफिकेशन जो कि आईफोन को कम रैम में बेहतर काम करने में मदद करता है। इसका मतलब होता है कि आईफोन में जो नोटीफिकेशन आ रहें होते हैं वो एप्पल क्लाउड से आते हैं, जबकि एंड्रॉयड फोन में बैकग्राउंड से नोटीफिकेशन आ रहा होता है।
यही सब वजह है कि आईफोन, एंड्रॉइड फोन से कम रैम में बेहतर और फास्ट काम कर सकते हैं।
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