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रेलवे नहीं देगी नौकरी; सपने चकनाचूर रेलवे के इन पदों पर अब कभी नहीं होगी भर्ती!

रेलवे जॉब अपडेट: ये खबर लाखों युवाओं के हौसलों को तोड़ने वाली है। रेलवे ने 72 हज़ार पदों को किया समाप्त। रेलवे के इन पदों पर अब कभी नहीं होगी भर्ती जिससे रेलवे के परीक्षार्थी के सपने हुए चकनाचूर। रेलवे ने जिन 72 हज़ार पदों को स्थाई तौर पर समाप्त कर दिया है।
Now these posts of railway will never be recruited!
               Image source-google 
उस पद तैयारी करने वाले स्टुडेंट्स की संख्या करोड़ों में है। बहुत सारे लोग सरकारी नौकरी में चपरासी की नौकरी के लिए भी 5 से 7 साल तक अपने घर से दूर रहकर तैयारी करते रहते हैं। ऐसे में रेलवे द्वारा 72 हज़ार पदों को समाप्त कर देना वो भी ऐसे समय में जब बेरोजगारी आजाद भारत में अपने चरम सीमा पर है। आइए जानते हैं ऐसे कौन कौन से पद हैं जिन्हें समाप्त कर दिया गया है।
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उसके बाद सबसे ज्यादा ग्रुप-C के पद को समाप्त कर दिया गया है। अभी 72 हज़ार पदों को समाप्त किया गया है और आने वाले सालों में 1 लाख पद और समाप्त किया जाएगा। 
जो पद समाप्त कर दिया गया वो है: चपरासी, वेटर, स्वीपर, माली, प्राथमिक विद्यालय में टीचर, यानी रेलवे के जो स्कूल होते हैं उनमें अब टीचर की भर्ती नहीं होगी। इन सब पदों को गैर जरूरी पद बोलकर रेलवे ने ख़त्म कर दिया है। 
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क्या कारण बता कर रेलवे ने ऐसा किया: इन पदों को समाप्त करने के पीछे जो कारण बताए गए हैं टेक्नोलॉजी में बदलाव। जी हां रेलवे ने टेक्नोलॉजी को रीजन बताते हुए इन 72 हज़ार पदों को समाप्त किया है।
ऐसे कौन कौन से पद हैं जिनके लिए आउटसोर्सिंग यानी ठेका पर नौकरी दी जाएगी: जिन पदों के लिए भर्ती तो की जाएगी लेकिन आउटसोर्सिंग यानी ठेके पर वो पद हैं खान- पान, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, टेक्नीशियन, कोच सहायक, बुकिंग क्लर्क आदि पद ठेके पर पहले से ही दिया जा चुका है। इन पर अब भर्तियां नहीं होगी। रेलवे ने माना है की हमारी कमाई का एक बड़ा हिस्सा वेतन और पेंशन में चला जाता है। इसलिए इन पदों के विकल्प पर काम किया जाएगा।
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 रेलवे ने कौन से 72 हज़ार पदों को स्थाई तौर पर समाप्त कर दिया है: 72 हज़ार पदों में सबसे ज्यादा जो पद समाप्त कर दिया है वो है चपरासी का। यानी ग्रुप-डी का पद सबसे ज्यादा समाप्त किया गया है।
रेलवे मंत्रालय अभी तक 13 लाख से अधिक भारतीय को नौकरी दे चुका है। भारत में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाली रेलवे अब निजीकरण की ओर अग्रसर हो गई है। 
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