नवजोत सिंह सिद्धू: केंद्रीय कारागार पटियाला यानि सेन्ट्रल जेल के बैरक नंबर 7 में पूर्व क्रिकेटर, पूर्व कॉमेडियन , पूर्व कॉमेंटेटर और पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू को कैदी नंबर 241383 के रुप में रखा गया है।
Image source-googleरात करवट बदलते बीत रही है। सिद्धू हो या लालू या कोई आम आदमी कानून तो सबों के लिए बराबर होता है। अब ये हैं कि भारत के कानून में सजा देर से मिलती है क्योंकि भारत में कानून के हाथ बड़े लम्बे होते हैं वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी और सिद्धू के मामले में यह सिद्ध होता है। सिद्धू को एक साल का शश्रम कारावास की साजा दी गई है, सिद्धू विचाराधीन कैदी नहीं है वो सजायाप्ता कैदी हैं। जेल में काम भी करेगें और पहले उनको एक दिन का ₹40 रुपया मिलेगा क्योंकि अकुशल कैदी के रुप में उन्हें शुरु काम मिलेगा। बाद में सिद्धू को जब काम करने का अनुभव हो जाएगा तब ₹60 रूपये दिया है। उन्हें सेंट्रल जेल में 10×15 की कोठरी मिली है। इस बैरक में सिद्धू के साथ चार और कैदी भी हैं। Image source-google
उनके लिए जेल में एक कुर्सी, एक बेंच और एक आलमारी दी गई है। साथ ही रात में मच्छर न काटे इसलिए एक मच्छरदानी और दो सेट कपड़े के अलावा तीन चड्डी भी दी गई है। अगर राज्य सरकार चाहे तो सजा कम भी कर सकती है। अभी एक साल की सजा सुनाई गई है लेकिन राज्य सरकार चाहे तो इसे 8-9 महीने कर सकती है। लेकिन सजा तो काटना पड़ेगा।
Image source-googleकौन सा आरोप सिद्ध हुआ है सिद्धू पर: गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है सिद्धू पर। जो कि 1988 यानी 34 साल पुराने मामले में सजा सुनाए गए हैं। सिद्धू की उम्र उस वक्त 25 साल थी। सिद्धू दरअसल हुआ ये था कि सिद्धू ने गुरनाम सिंह जिनकी उम्र 65 वर्ष थी से हुए कार पार्किंग के मामूली विवाद में उनके सिर पर मुक्का मार दिया था। उसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। अगर पैरोल पर भी जेल से निकलना है तो उसके लिए भी सिद्धू को कम से कम चार माह बाद ही मिल सकती है। यानि इतने दिन सिद्धू को जेल में काटनी पड़ेगी।
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