ज्ञानवापी केस: सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी सर्वे मामले पर सुनवाई करते बनारस के ज्ञानवापी मंदिर सर्वे पर क्या हुआ ? मंदिर या मस्जिद इसको लेकर के आमलोग पिछले कई दिनों से टीवी न्यूज़ चैनल और अखबारों में कवरेज देख और पढ़ रहे हैं।
Image source-googleअब इस मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को कुछ सुझाव दिए हैं। तीन जज जस्टिस डी वाई चद्रचुर, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने जो सुझाव दिए हैं वो काफ़ी विचारणीय है। इन तीन जजों के बेंच ने आज सुनवाई करते हुए कहा कि जो सर्वे रिपोर्ट है वो ऐसे क्यों लीक हो रही है। आपलोग कई दिनों से देख पा रहे होंगे की जो सर्वे अधिकारी वो मीडिया से बात कर रहे हैं; जबकि जो सर्वे रिपोर्ट होता है वो सील बंद लिफाफे में कोर्ट में देना होता है। Image source-google
लेकिन कई दिनों से न्यूज चैनल और अखबारों में वो सर्वे रिपोर्ट दिखाई और छापी जा रही है। इसी पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा ये किस प्रकार का सर्वेहै जो गोपनीय रखा जाना चाहिए लेकिन लीक हो रहा है। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने प्रशाशन को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आगे से प्रशासन ध्यान दे की सर्वे रिपोर्ट लीक न हो। Image source-google
सुनवाई के दौरान डी वाई चद्रचुर ने कहा है कि मामले के गम्भीरता को देखते हुए इसे जिला स्तर के न्यायलय के किसी अनुभवी जज को ही देखना चाहिए। इसके बाद डी वाई चद्रचुर ने कहा कि जिस हिस्से में शिवलिंग मिलने की बात कही जा रही है उस हिस्से को सुरक्षित करें।
ज्ञानवापी मंदिर का इतिहास: पहली बार मंदिर का निर्माण वैन्यगुप्त के शासनकाल में 500-508 ईस्वी के दौरान कराया गया। इस बात का जिक्र 635 ईस्वी में भारत यात्रा पर आए एक अन्य चीनी नागरिक ह्वेन सांग की किताब में भी मिलता है। Image source-google
मंदिर को तोड़ने का पहला प्रयास 12वीं शताब्दी में मोहम्मद गोरी के शासन काल में कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर सन 1194-1197 के आसपास का समय किया गया था। अंतिम और सफल कोशिश 1669 ईस्वी में औरंगजेब के समय काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ दिया गया। Image source-google
ज्ञानवापी का वर्तमान: अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने वाराणसी की एक अदालत में याचिका दायर कर मां श्रृंगार गौरी समेत अन्य मंदिरों में पूजा-अर्चना की मांग की थी। जिसे कोर्ट ने मंजूरी दे दी थी। उसके बाद यह धीरे धीरे आगे और अपने अधिकार की मांग कर रहे हैं।
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