IPL 2022: इस आईपीएल में बीसीसीआई द्वारा एक चौंकाने वाला फैसला लिया गया। बीसीसीआई ने आईपीएल 2022 में फैसला किया कि वह इस सीज़न आईपीएल में 8 नहीं बल्की 10 टीम खेलेगी। ये दोनों टीम थी गुजरात टाइटन और लखनऊ सुपर जायंट्स जो अपने पहले ही सीज़न में अच्छा प्रदर्शन कर रही है; लेकिन इसी के साथ गुजरात टाइटन के साथ एक विवाद भी जुड़ गया है।
Image source-googleये विवाद इनके मालिकों को लेकर है। जो काफ़ी सारे बेटिंग परफॉर्म यानी सट्टेबाजी प्रदर्शन करते हैं। जबकि भारत में सट्टेबाजी प्रदर्शन करना पूरी तरह से बैन है। सारे विवाद इनके मालिकों को लेकर शुरू तब देखने को मिला जब बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और आईपीएल को जन्म देने वाले ललीत मोदी एक ट्विट करते हैं Image source-twitter
जिस ट्विट में वो कटाक्ष करते हुए लिखते हैं, मुझे लगता है कि अब तो सट्टेबाज प्रदर्शन करने वाली कंपनी भी आईपीएल में टीम खरीद सकती है। ये बीसीसीआई क्या कर रही है? यह ट्वीट देखते ही देखते वायरल हो गई। इस ट्विट में बीसीसीआई और गुजरात टाइटन के मालिकों की ओर इशारा कर रहा था। Image source-google
ज्यादातर ऐसे मालिकों को टीम खरीदने में बीसीसीआई हिस्सा नहीं लेने देती है, लेकिन गुजरात टाइटन आईपीएल खेल रही है। कैसे इस टीम को आईपीएल खेलने की अनुमति मिली और क्या इस आईपीएल टीम को बैन किया जा सकता है; आईए जानते हैं!
ललीत मोदी के ट्वीट के बाद बीसीसीआई पर दबाव आया और कुछ वक्त बाद मीडिया में बयान आया की गुजरात टाइटन को अभी लेटर ऑफ इंटेंट नहीं मिला है और इस पूरे मामले की जांच की जाएगी। जहां एक तरफ बीसीसीआई जॉच का आदेश दी और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज केएस राधाकृष्णन की कमेटी ने 22 दिनों में फैसला आ गया। Image source-google
इस फ़ैसले का इंतजार बहुत सारे लोग कर रहे थे। इस फ़ैसले में बीसीसीआई को यह मानना पड़ा की गुजरात टाइटन के मालिकों के पास बहुत सारे सट्टेबाज प्रदर्शन करने वाली कंपनी है; लेकिन फिर भी उन्हें एक आईपीएल टीम रखने की अनुमति दी जाती है। अब आप सोच रहे होंगे कि क्यों मिली अनुमति? इसका कारण है कि इनके मालिकों ने नियमों में लूप होल यानी कमी का फायदा उठाकर, चूंकि सीवीसी कैपिटल के दो ब्रांच हैं एक है सीवीसी कैपिटल एशियन और दूसरा है सीवीसी कैपिटल यूरोपियन। इसकी यूरोपियन ब्रांच के पास बहुत सारे सट्टेबाज प्रदर्शन करने वाली कंपनी है। दूसरी ओर है सीवीसी कैपिटल एशियन जिसने गुजरात टाइटन को खरीदा है। Image source-google
इस एशियन ब्रांच के पास कोई भी सट्टेबाज प्रदर्शन करने वाली कंपनी नहीं है। साथ में इनका पूरा मैनेजमेंट यूरोपियन ब्रांच से बिल्कुल अलग है। जिसके कारण सीवीसी कैपिटल कहती है कि उसकी एशियन ब्रांच एक नई कम्पनी है। अगर नियम से देखें तो यह गलत भी नहीं है इसी के वजह से बीसीसीआई ने सीवीसी कैपिटल को टीम खरीदने की अनुमति दे दी है। तभी तो जहां एक तरफ बीसीसीआई जॉच के आदेश दे रहा था तो दूसरी तरफ गुजरात टाइटन के मालिक सीवीसी कैपिटल ने अपने प्लेयर से लेकर टीम के कोच तक हायर कर रही थी। इससे उनको पूरा भरोसा था कि फैसला उन्हीं के हक़ में मिलेंगी। Image source-google
इस फ़ैसले का इंतजार बहुत सारे लोग कर रहे थे। इस फ़ैसले में बीसीसीआई को यह मानना पड़ा की गुजरात टाइटन के मालिकों के पास बहुत सारे सट्टेबाज प्रदर्शन करने वाली कंपनी है; लेकिन फिर भी उन्हें एक आईपीएल टीम रखने की अनुमति दी जाती है। अब आप सोच रहे होंगे कि क्यों मिली अनुमति? इसका कारण है कि इनके मालिकों ने नियमों में लूप होल यानी कमी का फायदा उठाकर, चूंकि सीवीसी कैपिटल के दो ब्रांच हैं एक है सीवीसी कैपिटल एशियन और दूसरा है सीवीसी कैपिटल यूरोपियन। इसकी यूरोपियन ब्रांच के पास बहुत सारे सट्टेबाज प्रदर्शन करने वाली कंपनी है। दूसरी ओर है सीवीसी कैपिटल एशियन जिसने गुजरात टाइटन को खरीदा है। Image source-google
इस एशियन ब्रांच के पास कोई भी सट्टेबाज प्रदर्शन करने वाली कंपनी नहीं है। साथ में इनका पूरा मैनेजमेंट यूरोपियन ब्रांच से बिल्कुल अलग है। जिसके कारण सीवीसी कैपिटल कहती है कि उसकी एशियन ब्रांच एक नई कम्पनी है। अगर नियम से देखें तो यह गलत भी नहीं है इसी के वजह से बीसीसीआई ने सीवीसी कैपिटल को टीम खरीदने की अनुमति दे दी है। तभी तो जहां एक तरफ बीसीसीआई जॉच के आदेश दे रहा था तो दूसरी तरफ गुजरात टाइटन के मालिक सीवीसी कैपिटल ने अपने प्लेयर से लेकर टीम के कोच तक हायर कर रही थी। इससे उनको पूरा भरोसा था कि फैसला उन्हीं के हक़ में मिलेंगी। Image source-google
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