जब घड़ी की खोज हुई थी न तब उससे कितने बजे हैं, क्या टाईम हुआ है ये सब पता लगाया जाता था। आज के समय में घड़ी से न केवल वक्त का बल्कि पहनने वाले का वक्त कैसा चल रहा है ये भी पता लगाया जा सकता है। मतलब घड़ी से सामने वाले का हैसियत का भी पता चल सकती है; ये लोग कहते हैं।
Image source-twitter
आज हम बात करेंगे कि Rolex की घड़ियां इतनी महंगी क्यों होती है ? रोलेक्स की एक एक घड़ी लाखों करोड़ों रुपए में बिकती है। रोलेक्स की घड़ियां उनकी कीमत की वजह से ही जानी जाती है। अब सवाल यह है कि ₹400 की घड़ी भी टाईम दिखाती है और लाखों करोड़ों रूपये का रोलेक्स घड़ी भी वही टाइम दिखाती है। फर्क क्या है बजट में इतना बड़ा अंतर क्यों है? इसी बात को आज आप जान पाएंगे। Image source-twitterRolex की घड़ियां इतनी महंगी क्यों: रोलेक्स की घड़ियां कुछ हज़ार रुपए से शुरू होकर के करोड़ों रुपयों तक की रेंज में मिलती है। सबसे महंगी रोलेक्स घड़ी की कीमत है ₹1.28 करोड़ रूपए। ये जो इतनी कीमत है इसकी उसकी खास वजह है इसकी खास कारीगरी । रोलेक्स की घड़ियां बनाने को जो तरीका है ना वो काफ़ी अनूठा है। कम्पनी कहती है कि हमारी जो घड़ियां है न वो कोई साधारण घड़ियां नहीं है। कम्पनी अपनी घड़ियां बनाने के लिए अलग से एक r&d यानि रिसर्च & डेवलपमेंट लैब बना रखी है। वहां पर एक से बढ़कर एक इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल करते हैं। लैब में जो काम होता है घड़ियां बनाने वक्त काफी बारीकियों से काम होता है। कम्पनी कहती है कि शायद ही दुनिया में ऐसी घड़ी बनाने वाली कंपनी है इतनी बारीकियों से काम करती है। रोलेक्स मैकेनिकल घड़ियां बनाती है जिसमें इतनी छोटी सी घड़ी के अन्दर इतने सारी चीजें फीट की जाती है । रोलेक्स कहती है कि इसी कारीगरी के चलते उसके घड़ी की कीमत इतनी महंगी हो जाती है।
Rolex घड़ी की खूबियां: रोलेक्स की घड़ियां हर एक प्रस्थिति में चाहे वो समुंद्र के नीचे 100 फीट हो या माउंट एवरेस्ट जैसे हाई एल्टीट्यूड वाली जगह पर हो तब भी एक दम सही टाईम दिखाती है। Image source-twitter
सबसे पहले रोलेक्स ने अपनी घड़ी सबमरीन यानि गोताखोरों के लिए 1960 में बनाई थी। जिसे समुंद्र के अंदर 100 फीट नीचे टेस्ट करने के लिए भेजा गया था। जहां पर भी रोलेक्स घड़ी ने सही टाईम दिखाया था। 1953 में पहली बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले एडमेन हेलरी ने भी Rolex घड़ी पहन कर ही चढ़ाई किया था। और वहां पर भी रोलेक्स घड़ी बिल्कल सही टाईम दिखाया था। तो ये सब जो खूबी है रोलेक्स में वही इसे खास बनाती है। Image source-twitter
Rolex घड़ी बनाने में जो मैट्रियल इस्तेमाल होता उसके वजह से भी उसकी कीमत काफी बढ़ जाती है। रोलेक्स घड़ी में रोलेक्स 904L ग्रेड स्टेनलेस-स्टील का भी उपयोग करता है। अधिकांश स्विस घड़ियाँ 316L ग्रेड स्टील से बनी होती हैं। रोलेक्स घड़ी में सोने और चांदी का इस्तेमाल किया जाता है। रोलेक्स घड़ी में जो नंबर लिखे होते हैं वो भी स्पेशल कांच और प्लेटिनम का बना होता है। तो ये सब खूबी ही रोलेक्स को Rolex बनाती है। Image source-twitter
Rolex एक साल में बनाती है इतनी घड़ियां: रोलेक्स घड़ी की दुनिया में एक मात्र ऐसा ब्रांड हैं जो अपनी सारी घड़ियां हाथों से बनाती है, यानि मशीन के मदद से नहीं बल्कि हैंड मेड होती है। किसके कारण एक घड़ी बनाने में एक साल का टाईम लग जाता है। वहीं इतने बड़े ब्रांड होने के बावजूद रोलेक्स डेली सिर्फ 2 हजार घड़ियां ही बना पाती है। जबकि साल भर में तकरीबन 8 लाख घड़ी बनाती है। इतनी सारी खूबियों के वजह से ही रोलेक्स घड़ी इतनी महंगी होती है। Image source-twitter
रोलेक्स घड़ी कहां की कम्पनी है: रोलेक्स एक ब्रिटिश-स्थापित स्विस घड़ी डिज़ाइनर और निर्माता है जो जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है। 1905 में विल्सडॉर्फ और डेविस के रूप में बनी कंपनी ने 1908 में अपनी घड़ियों के ब्रांड नाम के रूप में 'रोलेक्स' शब्द को चुना और रजिस्टर किया।
दी गई जानकारी अच्छी लगी तो तुरंत शेयर करें!