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ग्राम पंचायत के अंतर्गत पीने के लिए भूजल की अनुमति के लिए नियम: केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने केवल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पीने के लिए पानी और घरेलू उद्देश्य के लिए भूजल निकासी के लिए एनओसी के लिए दिशानिर्देश बनाए हैं। सीजीडब्ल्यूबी राज्यों में अत्याधिक जल की होती कमी यानि वॉटर लेवल और गंभीर क्षेत्रों को चिन्हित करता है। लेकिन बोर्ड के पास इन क्षेत्रों में भूजल निकासी को रोकने का अधिकार नहीं है और वह केवल भूजल का अत्याधिक महत्व और बर्बाद न करने का केवल निर्देश या सूचना दे सकते हैं।
यह नियम पूरे भारत में अलग अलग राज्य में अलग अलग है, चुकीं पानी का विषय राज्य सरकार को दिया गया है। इसलिए कुछ राज्य सरकार इस पर रोक लगा रखी है तो कुछ राज्य सरकार ने कोई नियम या रोक नहीं लगा रखी है। Image source-twitter
आज हम पानी के बारे में जानकारी देने वाले हैं। हो सकता है कि आपको पानी शब्द पढ़कर लगा होगा कि यह बोरिंग ख़बर है, और शायद आप सोच रहे होंगे कि बंद कर देते हैं क्या पानी के बारे पढ़े। आपके घर में अगर पानी खत्म हो जाता है तो आप बेचैन हो जाते होगें, लेकिन कभी आपने सोचा है कि अगर आपके शहर, आपके गांव में पानी खत्म हो जाएगा तब क्या होगा।
वाटरएड एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है, जो पानी, स्वच्छता और स्वच्छता पर केंद्रित है; उसका कहना है कि भारत की 75 प्रतिशत जनसंख्या आज इस मुकाम पर पहुंच गई है जिससे कुछ साल पहले साउथ अफ्रीका का केपटाउन शहर गुजर रहा था। जनवरी 2018 में वहां इतने हालत गंभीर हो चुके थे कि पानी भी राशन की तरह मिलने लगा था, हर व्यक्ति को हर रोज़ की जरूरतों को पूरा करने के लिए 50 लीटर पानी दिया जाता था। वहां पर पानी खत्म होने का डेडलाईन भी दे दिए गए थे, जिसे डे जीरो कहा गया था। डे जीरो वो दिन है जिस दिन शहर या गांव में भूमि जल खत्म हो जाएगा। वही डे जीरो भारत में भी गहराने लगा है। वॉटरएड का कहना है कि 2030 तक दुनिया के 21 शहरों में डे जीरो जैसे हालात बन जाएंगे और 2040 तक दुनिया के 35 देश इससे प्रभावित होने लगेगें। इस 35 देशों में भारत का भी नाम शमिल है। वॉटरएड के इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में भारत के लोग 24 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। Image source-twitter
भारत अपने इतिहास में सबसे खराब जल संकट से गुजर रहा है। पहले से ही 6 मिलियन से अधिक लोग पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं। महत्वपूर्ण भूजल संसाधन, जो हमारी जल आपूर्ति का 40% हिस्सा है, को निरंतर दरों पर समाप्त किया जा रहा है। जिसको लेकर सरकार भी चिंतित है।
केद्र सरकार ने 2018 में ग्राउंड वाटर की समस्या दूर करने के लिए अटल भूजल योजना 2018 में लॉन्च किया था जिसे 2022-23 कार्यान्वित करना तय हुआ है। यह योजना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जयंती के दिन शुरू की गई और उनके सम्मान में इसे 'अटल भूजल योजना' नाम दिया गया है। इसकी शुरुआत पहले फेज में गुजरात, हरियाणा,महाराष्ट्र,उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान के 8350 गांवों को होगा। केंद्र सरकार के तरफ इस योजना के लिए 6 हज़ार करोड़ की सहायता प्राप्त हुई है जिसमें 3 हज़ार करोड़ वर्ल्ड बैंक द्वारा दिए जाएंगे और बाकी के 3 हज़ार भारत सरकार को देना है।