देश के करोड़ों छात्रों के स्कूल और कॉलेज से जुड़ी ख़बरें आपको बताने जा रहे हैं। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यानि यूजीसी ने ये फैसला किया है कि इस साल केन्द्रीय विश्वविद्यालय और इनके कॉलेजों में ऐडमिशन के लिए 12 वीं कक्षा के अंको को आधर नहीं माना जाएगा; बल्कि इसके जगह अलग से एक प्रवेश परीक्षा देनी होगी और इसमें छात्रों को जो रैंक आएगी उसी के आधार पर उसे केन्द्रीय विश्वविद्यालय में एडमिशन मिलेगी। भारत में हर साल लगभग 1.50 करोड़ छात्र 12 वीं कक्षा के बोर्ड एग्जाम देते हैं। इसलिए ये ख़बर देशभर के करोड़ों छात्रों और परिवारों से जुड़ा हुआ है।
यूजीसी का अहम फैसला
केन्द्रीय विश्वविद्यालय में एडमिशन 12 वीं के बोर्ड एग्जाम के नंबरों के आधर पर नहीं होगा।
बल्कि इसके जगह अलग से एक प्रवेश परीक्षा देनी होगी।
इस परीक्षा का नाम होगा सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन इंटरेस्ट टेस्ट ।
हमारे देश में अभी कुल 45 सेंट्रल यूनिवर्सिटी हैं।
यूजीसी का ये फैसला सिर्फ सेंट्रल यूनिवर्सिटी पर लागू होंगे स्टेट यूनिवर्सिटी पर लागू नहीं होगें।
इस फैसले की आख़िर ज़रूरत क्यों पड़ी ?
आपको यहां बता दें कि हर साल 12 वीं कक्षा के बोर्ड के जो एग्जाम होते हैं वो अलग अलग बोर्ड लेते हैं; जैसे सीबीएसई बोर्ड, आईसीएस बोर्ड , इसके अलावा हर राज्य सरकार का अपना एक अलग शिक्षा बोर्ड होती है। सभी राज्यों के बोर्ड एग्जाम का अलग अलग सिलेबस और एग्जाम पैटर्न होता है। जिसे ध्यान में रखकर ये फैसला लिया गया है।
जैसे कि कुछ बोर्ड एग्जाम में 90% तक अंक बहुत स्टूडेंट को आ जाते हैं, जबकि अन्य राज्य के बोर्ड एग्जाम में 80% अंक लाने में भी मुश्किल हो जाती है।
इसलिए यूजीसी को लगा कि ये नियम बदलने की जरूरत है।
इस एंट्रेंस एग्जाम के लिए स्टूडेंट को कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि अपने कंप्यूटर पर घर पर बैठ कर ही दिया जा सकता है।
इस परीक्षा का आयोजन जुलाई माह के पहले सप्ताह तक होगें।
ये परीक्षा कुल 13 भाषाओं में देने की सुविधा होगी।
हमारे देश में जो भी 12 वीं कक्षा के बोर्ड एग्जाम देते हैं उनके जीवन पर इसका बहुत बड़ा असर पड़ेगा। अब उन्हें भी नंबरों के वजह से सेंट्रल यूनिवर्सिटी में एडमिशन से वंचित नहीं रहना होगा।
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