पुरानी पेंशन योजना (ops) : राजस्थान सरकार द्वारा पुरानी पेशन योजना बहाल होने के बाद भारत के अलग अलग राज्यों में इसे लागू करने की मांग शुरू हो गई है।उनके इस फैसले की सोशल मीडिया पर खूब तारीफ भी हो रही है। ऐसे में अब झारखंड की सोरेन सरकार पुरानी पेंशन योजना फिर से शुरू करने जा रही है। मुख्य्मंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर लिखा कि अपने निश्चय पत्र 2019 में हमने घोषणा की थी कि वर्ष 2004 के बाद सरकारी सेवा में नियुक्त होने वाले पदाधिकारियों और कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल करेंगे। हमारी सरकार अपने वायदे पर कायम हैं।
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल और पंजाब में पुरानी पेंशन योजना (OPS) पहले से ही लागू है। अब राजस्थान के बाद झारखंड का नाम भी इस में लिस्ट में जुड़ गया है।
वहीं राजस्थान में ops के लागू होने बाद अशोक गहलोत ने ट्विट किया है कि 1 जनवरी, 2004 और उसके पश्चात नियुक्त हुए समस्त कार्मिकों के लिए आगामी वर्ष से पूर्व पेंशन योजना (OPS) लागू करने सहित कर्मचारियों के हित में की गयी घोषणाओं के लिए विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने मुख्यमंत्री निवास पहुंचकर आभार जताया और धन्यवाद दिया।
लोगों का ये भी कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में एक नियम की बात करते हैं, लेकिन कर्मचारियों के लिए नई स्कीम लागू की जा रही है, जबकि सांसद और विधायक OPS का लाभ ले रहे हैं।
कब बंद हुई थी पुरानी पेंशन योजना ( OPS ) ?
2005 में बंद हुई थी पुरानी पेंशन योजना, 2005 के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की केंद्र सरकार ने नियुक्तियों के लिए पुरानी पेंशन को बंद कर नई पेंशन योजना लागू( NPS ) की थी।
आखिर क्यों पुरानी पेंशन योजना (OPS) की मांग तेज हो रही है ? आइए जानते हैं पुरानी पेंशन योजना और नई पेंशन योजना ( NPS ) में क्या है अन्तर ?
नई पेंशन योजना ( NPS ): राज्य सरकार 14% और कर्मचारी 10% अंशदान करते हैं। सेवानिवृत्ति के बाद ब्याज सहित कुल जमा राशि का 40 से 60% हिस्सा कर्मी निकाल सकते हैं। शेष राशि का बैंकों का एन्युटी प्लान लेने का प्रावधान है।
पुरानी पेंशन योजना ( OPS ): सेवानिवृत्ति पर अंतिम मूल वेतन और महंगाई भत्ते की आधी राशि बतौर पेंशन जीवनकाल तक राजकोष से मिलती है। हर साल दो बार महंगाई भत्ता बढ़ता है। मौत होने पर पारिवारिक पेंशन की भी व्यवस्था है।
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